बुंदेलियों ने अलग बुंदेलखंड राज्य के जनक शंकर लाल महरोत्रा की मनाई जयंती, मांगा बुंदेलखंड राज्य

बुंदेलियों ने अलग बुंदेलखंड राज्य के जनक शंकर लाल महरोत्रा के जयंती को बुंदेलखंड दिवस के रुप में मनाया और खून से खत लिखो..

Mar 9, 2022 - 04:59
Mar 9, 2022 - 04:59
 0  1
बुंदेलियों ने अलग बुंदेलखंड राज्य के जनक शंकर लाल महरोत्रा की मनाई जयंती, मांगा बुंदेलखंड राज्य

बांदा, 

बुंदेलियों ने अलग बुंदेलखंड राज्य के जनक शंकर लाल महरोत्रा के जयंती को बुंदेलखंड दिवस के रुप में मनाया और खून से खत लिखो अभियान शुरू किया। आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री को खून से खत लिख कर बुंदेलखंड राज्य की मांग की है। आंदोलन के जनक शंकरलाल ने आंदोलन के लिए अपनी फैक्ट्री बेंच दी थी।जनपद के बबेरू कस्बे में बुन्देलखण्ड राज्य आंदोलन के जनक स्व. शंकर लाल महरोत्रा की जयन्ती पर 9 मार्च बुधवार को बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति के स्वयंसेवकों ने बुंदेलखंड दिवस के रूप में मनाया। बबेरू नगर में समिति के कार्यालय में स्व शंकर भईया के चित्र में पुष्प माला चढा दीप प्रज्वलित कर उन्हे श्रद्धांजलि दी गई। 

यह भी पढ़ें - नही..नही ये न करें, यह करना खुद के साथ दूसरों की सेहत के लिए भी खतरनाक है

बुंदेलखंड राज्य आंदोलन के जनक शंकर लाल मेहरोत्रा का जन्म नौ मार्च, 1948 को झांसी के प्रतिष्ठित कारोबारी सुंदर लाल मेहरोत्रा के घर हुआ था। उनके बेटे नीरज मेहरोत्रा बताते हैं कि पापा पहले कांग्रेस पार्टी में थे और मध्यप्रदेश के कोषाध्यक्ष थे। वे मानते थे कि जब तक बुंदेलखंड दो राज्यों के बीच पिसता रहेगा, इसका भला नहीं होने वाला। इसके लिए बुंदेलखंड अलग राज्य होना जरूरी है। इसके लिए उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ 17 सितंबर, 1989 को नौगांव के नजदीक महोबा जिले के धवर्रा गांव में हनुमान मंदिर में बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। 

आंदोलन को गति देने के लिए पूरे बुंदेलखंड में सभाएं, धरना प्रदर्शन शुरू करवाए लेकिन जब आंदोलन के लिए धन की कमी पड़ने लगी तो उन्होंने नौगांव में स्थापित अपनी डिस्टिलरी फैक्ट्री सवा करोड़ में बेच दी। अपने कारोबार को छोड़ दिया। 1993 में उन्होंने चर्चित टीवी प्रसारण बंद अभियान चलाया, 1994 में मध्यप्रदेश विधानसभा में बुंदेलखंड राज्य के लिए पर्चे फेंके, 1995 में लोकसभा में पर्चे फेंके जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने उनको नौ साथियों सहित गिरफ्तार करवा दिया। बाद में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने उनको छुड़वाया, फिर उन्होंने दिल्ली में जंतर मंतर पर एक महीने तक धरना प्रदर्शन किया जो अटल जी के सरकार आने पर बुंदेलखंड राज्य बनाने के आश्वासन के बाद खत्म हुआ।

यह भी पढ़ें - बुंदेलखंड की वीरांगनाओं से प्रेरणा लेकर बालिकाएं बढे आगे, यह नसीहत..

जून 1998 में झांसी के बरुआ सागर में हुई हिंसा आगजनी से अटल सरकार इतनी नाराज हो गयी उसने न केवल मेहरोत्रा जी व उनके साथियों पर रासुका लगा दी बल्कि 2000 में उत्तराखंड, झारखंड व छत्तीसगढ़ के साथ बुंदेलखंड राज्य भी नहीं बनाया और इसी सदमे में 22 नवंबर, 2001 को उनकी मृत्यु हो गयी। उनके जाने के बाद आंदोलन की धार कमजोर पड़ गयी।

कार्यक्रम में मुख्यरूप से बी आर एस प्रमुख डालचंद्र, प्रदीप मिश्रा, अजय गुप्ता, कोमल पटेल ,  नीरज जायसवाल ,नितेश , राजेश यादव , प्रदीप मिश्र ,तेज यादव ,कुलदीप सिंह, शैलेन्द्र जौहरी आदि बुन्देली साथी मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें - केसीएनआईटी में लैंगिक समानता पर छात्र छात्राओं ने पेश किया नुक्कड़ नाटक

What's Your Reaction?

Like Like 2
Dislike Dislike 0
Love Love 2
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 2