जीजा-साली के आरोप-प्रत्यारोप ने यूपी विधानसभा में मचाई हलचल
उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही राजनीति गरमा गई है। सिराथू से विधायक पल्लवी पटेल ने अपने...
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही राजनीति गरमा गई है। सिराथू से विधायक पल्लवी पटेल ने अपने जीजा और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। पल्लवी पटेल ने प्राविधिक शिक्षा विभाग में एचओडी के पदों पर हुई नियुक्तियों में 50 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा किया है।
क्या है मामला?
विधायक पल्लवी पटेल ने आरोप लगाया कि प्राविधिक शिक्षा विभाग में 250 लेक्चरर्स को प्रमोट करने के नाम पर ढाई-ढाई लाख रुपये की रिश्वत वसूली गई। पल्लवी का कहना है कि उनके पास घोटाले से जुड़े ठोस सबूत मौजूद हैं। गौरतलब है कि प्राविधिक शिक्षा विभाग के मंत्री उनके सगे जीजा आशीष पटेल हैं, जो केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति हैं।
आशीष पटेल का पलटवार
कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे अपनी "राजनीतिक हत्या की साजिश" करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, "प्रमोशन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है। मैं किसी भी जांच के लिए तैयार हूं। अगर मेरी गलती साबित हो, तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं।"
सदन में गहराया विवाद
शीतकालीन सत्र के पहले दिन, आशीष पटेल और पल्लवी पटेल दोनों सदन में गैरहाजिर रहे। आशीष पटेल के मिर्जापुर दौरे पर होने की सूचना मिली, जबकि पल्लवी पटेल ने सदन का बहिष्कार करते हुए विधानसभा परिसर में सरदार पटेल की प्रतिमा के सामने धरना दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी और इस मुद्दे को सदन में उठाने की बात भी दोहराई।
पारिवारिक विवाद का सियासी असर
यह पहली बार नहीं है जब पटेल परिवार में तनाव ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई हो। अनुप्रिया पटेल और पल्लवी पटेल के बीच उनके पिता सोनेलाल पटेल की राजनीतिक विरासत को लेकर लंबे समय से मतभेद हैं। अब पल्लवी के आरोपों ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है।
विधानसभा सत्र पर नजरें:
विधानसभा सत्र अभी चार दिन और चलेगा। माना जा रहा है कि मंत्री आशीष पटेल कल सदन में आ सकते हैं। पल्लवी पटेल ने स्पष्ट कर दिया है कि वह सदन में इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएंगी।
निष्कर्ष:
जीजा-साली के इस आरोप-प्रत्यारोप ने यूपी की राजनीति को गर्मा दिया है। विधानसभा सत्र के आगामी दिनों में यह मुद्दा और उग्र रूप ले सकता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि सरकार इस विवाद को शांत करने के लिए क्या कदम उठाती है।