बांदा : मेहनत और लगन से किसान का बेटा कृषि वैज्ञानिक बना
अगर कोई इंसान कड़ी मेहनत और लगन से किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी संघर्ष करता है तो निश्चित ही सफलता उसके...
अगर कोई इंसान कड़ी मेहनत और लगन से किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी संघर्ष करता है तो निश्चित ही सफलता उसके कदम चूमने लगती है।
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यह सिद्ध किया है जनपद बांदा के ग्राम कैरी निवासी युवक सुशील पटेल ने जिसने संघर्ष और परिश्रम के बाद कृषि वैज्ञानिक बनने में सफलता हासिल की। इस युवक की सफलता से न सिर्फ किसान परिवार खुश है बल्कि गांव और जनपद के लोग भी गौरवान्वित है।
ग्राम कैरी के होनहार डॉ सुशील पटेल एक छोटे से किसान का बेटा है और संघर्ष की कहानी इतनी जोरदार बनाई की सफलता की गूंज दूर-दूर तक सुनाई पड़ रही है। कहा जाता है कि संघर्ष जितना शांति भरा हो सफलता की गूंज उतनी ही जोरदार होती है। डॉ सुशील पटेल ने प्रारंभिक शिक्षा बिसंडा के सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में प्राप्त की है ।
इसके बाद मथुरा पशुचिकित्सा महाविद्यालय से पशुचिकित्सा में स्नातक की डिग्री, भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली से पशु आनुवंशिकी में पीजी और राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल से पशु आनुवंशिकी के क्षेत्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। इसके पहले डॉक्टर सुशील पटेल, रीवा पशु चिकित्सा कॉलेज में टीचिंग एसोसिएट के रूप में कार्यरत थे।
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आज डॉक्टर सुशील कुमार पटेल का चयन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र जावरा,रतलाम मध्य प्रदेश में हो गया है। डॉ सुशील ने अपने इस चयन के पीछे माता-पिता,चाचा-चाची और समस्त किसान परिवारों के आशीर्वाद का परिणाम बताया है। उनके चयन से सभी क्षेत्रवासियों और जनपदवासियों ने खुशी जाहिर किया है।