मुक्तिधाम में चिताओं के लिए बनाने पड़े 20 और प्लेटफार्म
कभी किसी ने सोचा भी न होगा कि एक समय ऐसा आएगा जब न तो शव जलाने के लिए जगह मिलेगी और न शवों को कंधा देने के लिए इंसान...
कभी किसी ने सोचा भी न होगा कि एक समय ऐसा आएगा जब न तो शव जलाने के लिए जगह मिलेगी और न शवों को कंधा देने के लिए इंसान।
वैश्विक महामारी कोरोना ने आज ऐसी ही स्थिति में ला खड़ा किया है। बांदा के मुक्तिधाम श्मशान स्थल में अंतिम संस्कार के लिए लगी शवों की लाइन देखकर कलेजा कांप गया। इन शवों का जल्दी अंतिम संस्कार हो इसके लिए नगर पालिका द्वारा 20 नए प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं।
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मुक्तिधाम हरदौली घाट में जहां प्रतिदिन 2 से 4 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था। वहां कोरोना की विनाश लीला के कारण 1 दिन में 20 -20 शव जलाए जा रहे हैं।
शवों का अंतिम संस्कार के बाद फूल चुनने के लिए कम से कम 4 घंटे का समय चाहिए जिससे अन्य शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए इंतजार करना पड़ता है। यहां अधिकांश शवों का मशीन के जरिए अंतिम संस्कार किया जाता है लेकिन बड़ी संख्या में लोग चिता जलाकर शवों का अंतिम संस्कार करते हैं।जिससे पूर्व में बने प्लेटफार्म कम पड़ गए।
इस बारे में जानकारी देते हुए नगर पालिका अध्यक्ष मोहन साहू ने बताया कि "प्रतिदिन 15-20 शव आने से यहां अंतिम संस्कार में दिक्कत हो रही थी। आग ठंडी भी नहीं हो पाती कि दूसरे लोग अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए जिद करते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए मुक्तिधाम में 20 और प्लेटफार्म तैयार किए जा रहे हैं। जो एक-दो दिन में बनकर तैयार हो जाएंगें।इससे लोगों को अंतिम संस्कार में इंतजार नहीं करना पडेगा।"
इसी तरह मुक्तिधाम समिति के अध्यक्ष अमित सेठ भोलू ने बताया कि "शवों की बढ़ती संख्या के कारण नए प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं।उन्होंने बताया कि फिलहाल संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार राजघाट स्थित मुक्तिधाम में किया जा रहा है। इसके बाद भी मुक्तिधाम हरदौली घाट में शवों की संख्या बढ रही है। जिससे इंटरलॉकिंग के जरिए नए प्लेटफार्म बनाए गए हैं।"
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