"यह कविता कुछ कहती है": कार्यशाला में झलकी प्रतिभा, शब्दों में उभरी संवेदना

"यह कविता कुछ कहती है"— इस भावपूर्ण शीर्षक के साथ हाल ही में संपन्न हुई रचनात्मक कार्यशाला  कला एवं साहित्य के संगम...

Jun 23, 2025 - 18:21
Jun 26, 2025 - 18:58
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"यह कविता कुछ कहती है": कार्यशाला में झलकी प्रतिभा, शब्दों में उभरी संवेदना

बुंदेलखंड न्यूज़ मीडिया पार्टनर रहा 

"यह कविता कुछ कहती है"— इस भावपूर्ण शीर्षक के साथ हाल ही में संपन्न हुई रचनात्मक कार्यशाला  कला एवं साहित्य के संगम को साकार किया। कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज, संस्कृति, संवेदनाएं और बुंदेलखंड की मिट्टी की खुशबू को शब्दों में पिरोया। इस आयोजन में कुछ प्रतिभागी न केवल लेखन में अपनी पहचान छोड़ गए, बल्कि निर्णायकों द्वारा विजेता भी घोषित किए गए।

"बुंदेलखंड न्यूज़" इस आयोजन का मीडिया पार्टनर रहा, और अब हम विजेता कवियों की कुछ चुनी हुई कविताओं के अंश, उनके नाम और तस्वीरों के साथ आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं—

आनंद दीपा, कक्षा - 9, भागवत प्रसाद मेमोरियल एकेडमी

काश मैं इस जंग को रोक पाती

इससे हो रहे विनाश को समेत पाती

जाने कितने शहीद हुए, कितने मर मिटे इस जंग में

पर अपनी जान की परवाह किए बिना

मातृभूमि के असली बेटे कहलाए

सोच के मन जलता है उस मां का

जिसने अपने बेटे की चिता को देखा

जिसे उसने 9 महीने पाला, आज उसे ही जलाना पड़ा

हो रही जंग में लाखों लोगों की जान गवाईं

पर किसी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई

ना जाने लोग कब ये यह जंग बंद करेंगे

अपनी नहीं तो कम से कम अपने परिवार की चिंता करेंगे

काश मैं इस जंग को रोक पाती

इससे हो रहे विनाश को समेत पाती

शुभिता मिश्रा, कक्षा-5, इंटरनेशनल एमेटी स्कूल

जब आता बारिश का मौसम
खेतों का दिल खिल जाता है
चिड़िया गाना गाने लगती
कोयल का दिल इतराता है
जब आता बारिश का मौसम
बदरी घिर आती है
खेतों में भर जाता पानी
हरियाली छा जाती है
जब आता बारिश का मौसम
किसान खुश हो जाते हैं
धान के नन्हे पौधे भी
तब तक उग जाते हैं

ऋतुराज सिंह, कक्षा 12, भागवत प्रसाद मेमोरियल अकादमी

-: प्रकृति की सुंदरता :-

प्रकृति का रंग सुनहरा है, जो सबके मन को भाता है।

अपनाये इसे हम तो, यह जीवन देकर जाता है।।

जले कोई रूह इसकी छांव में, तो यह नम सी हो जाए।

मिले जीवन अगर इससे, सवेरा खेल सा यूँ जाए।।

अभिषेक कुमार प्रजापति, कक्षा 12, भागवत प्रसाद मेमोरियल अकादमी

नदी

मैं नदी की गहराई में चला जा रहा हूं

आज अपनी रूह से कुछ खाने जा रहा हूं

1 . कि नदी पर पड़ रही उसे धूप की चमक,

उसकी मंद मंद लहरों को मुस्का जाती हैं,

जिससे सवेरे की पहली किरण खुद को उसे में पाती है। 

2. जहां से गुजर जाए अगर तो हरियाली फैल जाती है,

और उसे पर से अगर कोई गुजर जाए तो मंजिल तक पहुंच जाती है। 

3. अगर वह कहीं रुक जाए तो तालाब बन जाती है

और जो कुछ पल के दुखों के पैरों तले दब जाए तो जिंदगी थम सी जाती है। 

4. नदी के कण - कण में एक कहानी है,

जो मेरे दिल से निकली जुबानी है। 

5. वह इतनी दानी है कि संसार के जीवों का दुःख नहीं देख पाती,

और रास्ते में मिले साथियों की प्यास बुझाती। 

6. जिस तरह वह अपना रास्ता तय करके सागर में मिल जाती, इस तरह यदि व्यक्ति अपना रास्ता तय करें तो उसकी जिंदगी सफल हो जाती है।

कोमल सिंह, कक्षा 9, एच.एल. इंटर कॉलेज

मेरी दोस्त प्रकृति

एक दिन की बात है मेरे जीवन का एहसास है,

थी उदास में एक दिन, सोचा खुशी तो है ही नहीं जिंदगी में,

तब पेड़ की पत्तियों ने लहराकर बताया,

मुझे खुश होना बताया,

जैसे लहराती पत्तियां और शाखाएं होती हैं खुश,

मुझे भी उसने लहरा कर खुश होना सिखाया,

मेरी दोस्त प्रकृति है इसने मुझे जीवन जीना सिखाया,

लगता था बहुत अकेली हूं मैं,

बहुत अकेलापन सा था,

तब फूलों ने इठलाकर, खिलकर कहा,

हम सब हैं साथ तेरे,

उन्होंने मुझे चलना सिखाया,

लगता था अकेले क्या ही होगा,

तब सूरज ने उगकर बताया, कि मैंने अकेले पूरा संसार जगमगाया,

इस तरह सूरज ने मुझे अकेले खड़े होना सिखाया,

लगता था डर अंधेरी रात में जब,

तब चांद तारों ने चमक कर बताया,

उन्होंने मेरी जिंदगी का अंधेरा मिटाया,

और कहा चमको खुद इतना की अंधेरे को डर लगे तुमसे,

उन्होंने मुझे चमकना सिखाया,

जब बिगड़ जाता कोई काम मुझसे,

लगता बस खत्म हो गया यही सब,

तब नदी के जल ने बहकर बताया,

उसने मुझे निरंतर काम करना सिखाया,

मेरी दोस्त प्रकृति है, जिसने मुझे जीवन जीना सिखाया।

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