इक्कीसवीं सदी की महाशक्ति कौन ? युद्ध के हालात के पीछे बड़ी वजह...
सत्ता और शासक की महानता युद्ध तय करता है। एक शासक कितना भी महान हो यदि युद्ध उसके खाते मे ना दर्ज हो तो संभवतः एक समय बाद शासक की महानता की छवि धूमिल होने लगती है , अपितु एक युद्ध युगों - युगों तक शासक की महानता को जीवंत रखता है...
अब युद्ध मे हार हो या जीत लेकिन युद्ध का इतिहास अपने - अपने अनुसार हार - जीत तय करता है। यह अलग बात है कि युद्ध स्वाभाविक रूप से हो जाए या फिर युद्ध का माहौल बनाया जाए और कभी-कभी युद्ध वैश्विक सत्ता के केन्द्र अवश्यंभावी हो जाता है !
विश्व की तमाम सत्ताओं द्वारा भविष्य के बीस वर्ष बाद के वैश्विक माहौल को भी तैयार किया जाता है , जो जनता की समझ से परे हो जाता है। परंतु वैश्विक सत्ता के केन्द्र मे हालात के मद्देनजर युद्ध सुनिश्चित हुआ करता है।
ऐसे ही कुछ हालात वैश्विक आधार पर नजर आ रहे हैं, जिसमें व्यापारिक हित साधना भी बड़ा कारण होता है। साथ ही प्रत्येक राष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के द्वारा बदलते हालातों की वजह से भी युद्ध की स्थितियां बन जाती हैं चूंकि प्रत्येक राष्ट्र निजी हित को साधने के साथ दूसरे राष्ट्र से शांतिपूर्ण व्यवहार रखना चाहता है।
समय-समय पर युद्ध के द्वारा ही महाशक्ति का परिणाम तय होता है कि कौन सा राष्ट्र वर्तमान मे महाशक्ति है। इसलिए भी विश्व में शासको द्वारा अपने हितों के मद्देनजर युद्ध को संभव बना दिया जाता है। हालांकि भारत - चीन युद्ध जैसी परिस्थिति के पीछे जम्मू-कश्मीर सहित व्यापारिक कारण निहित हैं। यह सत्य है कि परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के मध्य युद्ध की विभीषिका बड़ी भयानक हो सकती है।
लेखक: सौरभ द्विवेदी, समाचार विश्लेषक