कौन है झांसी की शैली सिंह, जिसका बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के लोकार्पण पर पीएम ने किया जिक्र

पीएम मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के जालौन में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया..

कौन है झांसी की शैली सिंह, जिसका बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के लोकार्पण पर पीएम ने किया जिक्र

पीएम मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के जालौन में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे  का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान एथलीट शैली सिंह का जिक्र किया। उत्तर प्रदेश की 18 वर्षीय शैली सिंह लम्बी कूद की खिलाड़ी हैं। शैली के नाम जूनियर नेशनल रिकॉर्ड हैं और लम्बी कूद की कैटेगरी में छह मीटर से अधिक जंप कर बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

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शैली की उपलब्धियों के पीछे एक लम्बा संघर्ष रहा है। उनकी मां कपड़े सिलकर उन्हें आगे बढ़ा रही हैं।  शैली तीन भाई-बहन हैं। शैली ने एक लम्बे समय तक आर्थिक तंगी का सामना किया पर हार नहीं मानी। वह कहती हैं, उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए झांसी से 1700 किलोमीटर दूर बेंगलुरू का रुख किया। उन्होंने ऐसा दौर भी देखा है जब एक समय का भोजन मिलना भी बमुश्किल मिल पाता था।

शैली ने एक साक्षात्कार में बताया, मेरी मां ने मुझे एथलीट खेलों में कॅरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था. खेल के लिए स्पाइक्स शूज (कांटे वाले जूते) खरीदना तो बहुत दूर था। मैं सामान्य से एक जोड़ी जूते भी खरीद पाने में असमर्थ थी। ऐसे हालात में नंगे पैर ही दौड़ना शुरू किया। नंगे पैर दौड़ने के कारण पैरों में छाले पड़ गए। जब वापस घर लौटती तो मां छालों को देखकर रो पड़तीं,शैली ने इन हालातों में अपने कॅरियर की शुरुआत की। मुश्किल दौर से गुजरीं लेकिन हार नहीं मानीं।

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शैली का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में 7 जनवरी, 2004 में हुआ। उनकी परवरिश उनकी मां विनीता सिंह ने की। मां विनीता सिंह उस समय चौंक गईं जब बेटी ने एक एथलीट के तौर पर कॅरियर बनाने की बात कही। चौंकना इसलिए लाजमी था क्योंकि शैली जिस जिले में रह रही थीं वहां खेलों से जुड़ी ट्रेनिंग और कोचिंग के लिए काफी पिछड़ा हुआ था। अब मां के कंधों पर आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार को चलाने के साथ बेटी के सपनों को पूरा करने की भी जिम्मेदारी थी।

उन्होंने बेटी के जुनून और जज्बे को देखते हुए उसके सपनों को पूरा करने का फैसला लिया।कपड़ों को सिलकर होने वाली कमाई से शैली को 14 साल की उम्र में बेंगलुरू ट्रेनिंग के लिए भेजा। शैली अंजू बॉबी स्पोर्ट्स फाउंडेशन में ट्रेनिंग लेने बेंगलुरू पहुंचीं। शैली ने अपनी मेहनत और लगन से सबसे को चौंकाया. यही वजह है कि अक्सर उनकी तुलना उनकी मेंटर अंजू के साथ की जाती है। वो पहली ऐसी भारतीय एथलीट हैं जिन्होंने वर्ल्ड चौंपियनशिप में पदक जीता है।शैली सिंह अंडर-18 श्रेणी में शीर्ष 20 खिलाड़ियों में रह चुकी हैं। 

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बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की अन्य लेटेस्ट अपडेट के लिए देखते रहिये इस वेबसाइटbundelkhandnews.com को।

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