बेरोजगारी पिछले 50 वर्षों में सर्वोच्च स्तर पर, भारत में लगातार बढ़ रही है बेरोजगारी
नब्बे के शुरूआती दशक में निजीकरण और उदारीकरण जैसी नई आर्थिक नीतियों के भारत में प्रदार्पण करने के साथ.....
भारत कई वर्षों तक परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़े रहने के कारण अपेक्षित गति से विकास कर पाने में सक्षम नहीं हो पाया। जिसके कारण विश्वपटल पर स्वयं को आत्म-निर्भर और सशक्त रूप से स्थापित करने के लिए हमारी सरकारों को कई बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ा।
भले ही हमारी सरकारें लोगों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें उपयुक्त रोजगार मुहैया कराने का दम भरती हों, लेकिन जमीनी हकीकत यही रही है कि हमारी अधिकांश जनसंख्या बेरोजगारी के कारण भूखे पेट सोने और शिक्षा विहीन रहने के लिए विवश है। लोगों के पास किसी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़ते-बढ़ते इतना विकराल और भयावह रूप धारण कर चुका है कि इसका सामना करना हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
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हालांकि नब्बे के शुरूआती दशक में निजीकरण और उदारीकरण जैसी नई आर्थिक नीतियों के भारत में प्रदार्पण करने के साथ ही भारत की रोजगार स्थिति को थोड़ा बहुत समर्थन मिला। कुछ नीतियों के कारण कई ऐसे उद्योगों का विकास हुआ जिनके कारण बेरोजगारी से संबंधित आंकड़े में कमी देखी गई।
भारत एक विशाल जनसंख्या वाला राष्ट्र है। जनसंख्या जितनी तेजी से विकास कर रही है, व्यक्तियों का आर्थिक स्तर और रोजगार के अवसर उतनी ही तेज गति से गिरते जा रहे हैं। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए यह संभव नहीं है कि वह इतनी बड़ी जनसंख्या को रोजगार दिलवा सके। रोजगार की तलाश में दिन-रात एक कर रहे व्यक्तियों की संख्या, साधनों और उपलब्ध अवसरों की संख्या से कहीं अधिक है। यही कारण है कि, आज भी अधिकांश युवा बेरोजगारी में ही जीवन व्यतीत करने के लिए विवश हैं।
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बता दें, 2020-21 में बेरोजगारी दर कुल उपलब्ध कार्यबल का 7.1 प्रतिशत रही जो 50 साल में सर्वाधिक है। बढ़ती बेरोजगारी की समस्या सीधे रूप से भ्रष्टाचार से जुड़ी है। भ्रष्टाचार जितनी तेजी से फल-फूल रहा है, रोजगार की मात्रा कम होती जा रही है। सरकार ग्रामीण इलाकों में लोगों के जीवन स्तर को उठाने के लिए रोजगार संबंधित विभिन्न योजनाएं चला रही है, सरकारी और निजी संस्थानों में भर्ती को पारदर्शी बनाने की कोशिश कर रही है।लेकिन वास्तव में यह सभी प्रयास खोखले और भ्रम पैदा करने वाले हैं।
वर्तमान समय पर द्रिष्टी डाले तो सरकार निजीकरण का रास्ता अपनाते दिख रही है। भारत में बेरोजगारी का स्तर बड़ी समस्या बनता चला जा रहा है। हलाकि सरकारी योजना से सरकार ये आकड़ा कम करने में लगी हुई है। लोगो ने इसका काफी विरोध
भी किया है। आए दिन ट्विटर में ये देखने मिलता रहता है। आपको याद ही होगा लोगो ने कुछ दिनों पहले #मोदीरोजगारदो जैसा हैशटैग चलाया था।
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बता दे इस मुद्दे पर अब कांग्रेस ने भी अपनी प्रतिक्रिया देनी शुरु कर दी है। ट्विटर पर कांग्रेस की तरफ से आ रही प्रतिकिया को तो अआप सभी ने देखा ही होगा। एक ट्ववीट पे कांग्रेस की तरफ से लिखा गया कि,'मोदी सरकार की प्राथमिकता में है स्वयं का प्रचार, इसलिए युवा हुआ है बेरोजगार।' आप भी देखिये...
मोदी सरकार की प्राथमिकता में है स्वयं का प्रचार, इसलिए युवा हुआ है बेरोजगार।
— Congress (@INCIndia) March 12, 2021
SSC के पदों में भारी कटौती पर जवाब दो, युवा को हिसाब दो। #StudentsWantJobs pic.twitter.com/JOcVqasSN6
दरअशल, बढ़ती मेहंगाई के चलते आम जीवन अपनी जरूरतें पूरी करने में असमर्थ है। हालही में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी बत्ता योजना चला कर बेरोजगारों को 2500 रू देने की घोषणा की है। इससे पहले प्रधानमंत्री बेरोजगारी बत्ता योजना से लोगो को राहत देने की पहल की शुरुआत की है।
@PMOIndia #modi ji-rojgar_do??#jawab_do??
— Pradeep yadav (@Pradeep07777178) March 4, 2021
मोदी जी संन 2014 मे आप बोले थे की हमारी सरकार आती है तो , देश मे नौजवानों प्रती वर्ष 2crore नौकरियां देंगे ।इस समय क्या हालात नौजवानों ??बेरोजगारी दर क्या इस समय मोदी जी?? बोलना बहुत आसान है... pic.twitter.com/zOiE5HOQrB
आपको बता दें कि, कई नौकरियों वैकेंसीज को निरस्त किया गया था। और पिछले वर्ष भी एसएससी का पेपर होने के बाद भी रिजल्ट आने में काफी प्रॉब्लम हुई। कई एक्जाम्स भी कैंसिल हो गए थे। सीए का एग्जाम याद होगा कैंसिल ही चल रहा। वहीं इस वर्ष सरकारी और प्राइवेट जॉब्स देने का वादा रखते हुए मोदी सरकार पूरा कर रही है। उन्होंने ज्यादातर हर सेक्टर में 21000 वैकेंसीज निकलने के लिए बोला है।