इस साल औसत से अधिक होगी बारिश, किसानों को मिलेगा लाभ : IMD का पूर्वानुमान
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने वर्ष 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर सकारात्मक पूर्वानुमान जारी किया...

जल संकट में राहत और फसल उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने वर्ष 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर सकारात्मक पूर्वानुमान जारी किया है। विभाग के मुताबिक इस साल देश में औसत से अधिक वर्षा होने की संभावना है, जिससे खेती से जुड़े क्षेत्रों में राहत मिलने की उम्मीद है। इससे न केवल खरीफ फसलों की पैदावार बढ़ेगी, बल्कि जल संकट जैसी समस्याओं में भी कुछ हद तक कमी आ सकती है।
मानसून की दस्तक कब?
IMD ने जानकारी दी है कि मानसून 1 जून के आसपास केरल तट पर दस्तक देगा और उसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में फैलेगा। सितंबर के मध्य तक मानसून की वापसी की संभावना जताई गई है। उल्लेखनीय है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत की कृषि व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है।
कितनी होगी बारिश?
मौसम विभाग के अनुसार इस साल मानसून की बारिश दीर्घकालिक औसत (LPA) का लगभग 105 प्रतिशत हो सकती है। IMD की परिभाषा के अनुसार, यदि बारिश LPA के 105 से 110 प्रतिशत के बीच होती है, तो उसे 'औसत से अधिक' माना जाता है।
कुछ क्षेत्रों में कम बारिश की आशंका
जहां पूरे देश में अच्छी बारिश की उम्मीद है, वहीं लद्दाख, उत्तर-पूर्व भारत और तमिलनाडु जैसे कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हो सकती है। इन इलाकों में जल प्रबंधन की अग्रिम तैयारी जरूरी होगी।
अल नीनो का असर नहीं
एक बड़ी राहत की बात यह भी है कि इस बार अल नीनो की स्थिति कमजोर रहेगी या न्यूट्रल बनी रह सकती है। IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा के अनुसार, इससे मानसून पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा और ला नीना जैसी स्थितियों से अच्छी वर्षा की संभावना बढ़ जाती है।
गर्मी से राहत लेकिन हीटवेव अभी जारी
हालांकि मानसून की बारिश राहत लाएगी, लेकिन अप्रैल से जून के बीच उत्तर और मध्य भारत के हिस्सों में हीटवेव की स्थिति बनी रहेगी। तापमान में 4 से 6 डिग्री तक की वृद्धि देखी जा सकती है। मौसम विभाग ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
कृषि क्षेत्र को मिलेगा बड़ा फायदा
इस बार का मानसून पूर्वानुमान किसानों के लिए बेहद अहम है। समय पर बारिश होने से बुवाई समय पर हो सकेगी, सिंचाई पर खर्च घटेगा और उत्पादन लागत में कमी आएगी। इससे खरीफ फसलों की पैदावार बढ़ेगी, आपूर्ति सुधरेगी और मंहगाई पर भी नियंत्रण संभव हो सकेगा।
रबी फसलों को भी मिलेगा लाभ
खरीफ सीजन के बाद मिट्टी में बची नमी की वजह से रबी फसलों की बुवाई पर भी सकारात्मक असर होगा। इससे देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी की संभावना है।
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