सत्संग, कथा से मनुषत्व को प्राप्त करता है जीव : नवलेश महाराज
जीवन में जीने के लिए जैसे भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार नित्य सत्संग, भजन, पूजन की बड़ी जरूरत है...
श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन जड़ भरत, ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई
चित्रकूट। जीवन में जीने के लिए जैसे भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार नित्य सत्संग, भजन, पूजन की बड़ी जरूरत है। व्यास ने कथा के तीसरे दिन महाराज मनु के वंशज भक्त घु्रव के पावन चरित्र का वर्णन किया।
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राष्ट्रीय रामायण मेला प्रेक्षागृह में श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन भागवताचर्य नवलेश दीक्षित ने कहा कि व्यक्ति के अंदर जैसे ज्ञान, वैराग्य, भक्ति सूक्ष्म स्वरूप से व्याप्त रहता है उसी को साक्षात रूप में लाने के लिए भागवत कथा की जीवन में एक बार नितांत आवश्यकता पड़ती है। दीपक में घी वर्तिका डालने से नहीं जब तक ज्ञान रूपी अग्नि से प्रज्जवलित नहीं करेगें तब तक वह दीपक कैसे जल सकता है। सत्संग, कथा आदि से जीव मनुषत्व को प्राप्त करता है। भागवत कथा में महाराज मनु के वंशज का वर्णन भक्त शिरोमणि धु्रव के बारे में बताया कि जीवन में ईश्वर को प्राप्त करना कठिन नहीं है। अपने आप को पहले सरल करें। जजब तक हृदय सरल नहीं होगा तब तकक जीवन में ईश्वर का साक्षात्कार होना असंभव है। जड़ भरत चरित्र की पावन कथा सुनाकर महाराज भ्भरत के संदेह को नष्ट किया। वामन अवतार की कथा में अध्यात्म विवेचन करते हुए कहा कि जब तक जीवन में समर्पण नहीं होगा तब तक वह साध्य परमात्मा प्राप्त होने वाला नहीं है। वामन जी की झांकी के दर्शन कराकर आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर यजमान विद्या देवी के अलावा श्रोतागण मौजूद रहे।
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