झाँसी रेलवे स्टेशन में पेटिज को बनाया समोसा, खाने में लग रही मक्खियां
पिछले कुछ दिनों से झाँसी के रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर स्थापित स्टालों पर अवैध रूप से बिक रही पेटिज का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा,

पिछले कुछ दिनों से झाँसी के रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर स्थापित स्टालों पर अवैध रूप से बिक रही पेटिज का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा, जबकि कई रेलवे अधिकारी इस मामले को दबाने का भरसक प्रत्यन कर रहे हैं। आपको बता दें कि झाँसी के रेलवे स्टेशन पर अनेकों कार्य अवैध रूप से चल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इन कार्यों में कुछ रेलवे अधिकारियों के संलिप्त होने की भूमिका भी नजर आ रही है।
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आखिर मामला है क्या?
दरअसल कुछ दिन पहले अनेकों पोर्टल चैनल,सोशल मीडिया के माध्यम से यह जानकारी हुई कि झाँसी स्टेशन पर लगी बैग सेनेटाइजर मशीन कार्य नहीं कर रही है जबकि बैग सेनेटाइज करने के नाम पर प्रति बैग ₹10.00 वसूला जा रहा है। यह जानकारी लगने पर भारतीय मानवाधिकार एसोसिएशन झाँसी के सदस्य यह जानकारी करने जब दिनांक 5 मार्च 2021 को दोपहर लगबग 1.30 बजे रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार पर पहुंचे तो मामला सही पाया गया।
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बैग सेनेटाइज करने वाली मशीन ठीक ढंग से कार्य नहीं कर रही है, जिसकी सूचना एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा रेलवे के उच्च अधिकारियों को दी गई जिसे तत्काल संज्ञान में लेते हुए अपने अधीनस्थ रेलवे स्टेशन निदेशक को कार्यवाही करने के आदेश दिए। तभी कुछ रेलवे अधिकारी जब मौके पर पहुंचे तो मशीन में पर्याप्त UV c लैंप न होने के कारण मशीन को बंद करा दिया गया तत्पश्चात झाँसी स्टेशन निदेशक ने एसोसिएशन के सदस्यों को अपने कार्यालय बुलाकर वार्ता की।
वार्ता के दौरान एसोसिएशन के सदस्यों ने एक रेल यात्री जागरूकता कैम्प लगाने का प्रस्ताव रखा जो कि एसोसिएशन के सदस्य समय-समय पर अनेकों स्थानों पर कैम्पेन करते रहते हैं और पिछले वर्षों में झाँसी रेलवे स्टेशन पर भी रेलयात्री जागरूकता कैम्प लगा चुके हैं।
वार्ता के बाद जगह का मुआयना करने जब एसोसिएशन के सदस्य प्लेटफार्म क्रमांक 2/3 पर पहुंचे तो भूख लगने पर स्टाल पर बिक रही पेटिज खाने की इक्षा हुई, जब वह पेटिज खरीद रहे थे तो उस पेटिज में भरा आलू मसाला सूखा और बदबूदार निकला जिसकी सूचना खान-पान निरीक्षक को मोबाइल से बात कर दी गई जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि आप वह पेटिज लेकर और स्टाल क्रमांक खान-पान निरीक्षक कार्यालय में दें ताकि आवश्यक कार्यवाही की जा सके साथ ही यह बताया गया कि पेटिज की बिक्री रेलवे स्टेशन झाँसी के प्लेटफॉर्म पर वर्जित है।
आखिर क्यों हुआ बबाल?
सदस्यों को पेटिज का सेम्पल ले जाते हुए वहां कार्यरत वैंडर भड़क गए और अचानक कैमरे से रिकार्डिंग करते हुए चिल्लाने लगे कि यह लोग हमसे पैसा मांग रहे हैं लगभग 25 से 30 वेंडरों ने सदस्यों को घेर लिया और हाई वोल्टेज ड्रामा करते हुए पटरी पर फेंक देने को चिल्लाने लगे तथा जान से मार देने की धमकी भी देने लगे। लेकिन उस समय कोई रेलगाड़ी नहीं निकल रही थी, अगर कोई रेलगाड़ी पटरी पर दौड़ रही होती तो निश्चित ही एसोसिएशन के कई सदस्यों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता था। उस समय पूरे प्लेटफार्म पर कोई पुलिसकर्मी भी नहीं दिखाई दिया।
मामले को पलटने के लिए की जा रहीं कोशिशें।
इस सब के बाद एसोसिएशन के सदस्य एवं वैंडर स्टेशन निदेशक के कार्यालय शिकायत हेतु पहुंचे। तो स्टेशन निदेशक ने ज्यादा रुचि न लेते हुए थाना आर.पी.एफ. भेज दिया जहां आपसी सुलह समझौते के बाद मामला खत्म हो गया।
फिर कैसे उछला मामला ?
अवैध वेंडिंग और अवैध सामग्री की बिक्री बन्द होते देख कुछ अवैध कारोबार में लिप्त मठाधीशों के कहने पर एसोसिएशन के सदस्यों पर वेंडरों पर जबरन पैसा मांगने का आरोप लगने लगा, वेंडरों द्वारा कुछ मीडिया कर्मियों को कैमरे के सामने आकर कभी व्यापारी तो कभी पत्रकार तो कभी कुछ बताया गया।
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रेलवे अधिकारी कर रहे मामला घुमाने की कोशिश। इसी सम्बन्ध में जब एसोसिएशन के सदस्य रेलवे के उच्च अधिकारी के पास शिकायत लेकर पहुंचे तो उन्होंने भी गोल मोल बात कर पेटिज और वेंडरों द्वारा की गई बदसलूकी पर ध्यान नहीं दिया और यह भी कह दिया कि स्टेशन हमारा,प्लेटफार्म हमारा,खान-पान हमारा,स्टाल हमारे, जी.आर.पी.,आर.पी.एफ. पुलिस हमारी,और न्यालालय भी हमारा।
अब कोई बाहरी व्यक्ति इसमें दखल नही दे सकता। जब एसोसिएशन के सदस्यों ने पेटिज और स्टाल के वीडियोज दिखाए तो उन्होंने साफ कह दिया कि हम किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा बनाये गए वीडियो पर विश्वास नहीं करते, हमारे स्टेशन पर कैमरे लगे हैं हम उसी पर विश्वास करेंगे।जबकि वीडियो में साफ पेटिज दिखाई दे रही है। और अनाधिकृत रूप से परिसर में प्रवेश करने का भी इल्जाम लगा दिया जबकि मुख्य द्वार से होकर स्टेशन निदेशक के कक्ष में बैठना, वार्ता के दौरान चाय,पानी होने का वीडियो फुटेज भी निदेशक के कार्यालय में लगे कैमरे में कैद है।
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रेलवे सुरक्षा में लगी सेंध
एक बात तो देखने को मिल रही है कि रेलवे क्षेत्र में परिंदा भी नही घुस सकता तो यह प्रतिबंधित पेटिज आखिर स्टेशन परिसर में पहुंची कैसे ? और खास बात यह है कि जिस स्टेशन पर रेलवे के सभी उच्च अधिकारियों का निरीक्षण होता रहता है तो क्या उन्हें यह अवैध रूप से बिक रही प्रतिबंधित पेटिज दिखाई नही दी जबकि मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय भी रेलवे स्टेशन मात्र लगभग 200 मीटर की ही दूरी पर है और अभी कुछ दिन पहले ही रेलवे जी.एम. भी स्टेशन का निरीक्षण कर चुके हैं।
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