पाण्डु नदी उफनाई, नीचले इलाकों में पानी भरने से चलाई जा रही नावें
बरसात आते ही कुछ इलाके ऐसे भी होते हैं तो दो से तीन माह के लिए जलमग्न हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ कानपुर के बिठूर थानाक्षेत्र के टिकरा इलाके..
कानपुर,
- सड़क मार्ग से सम्पर्क टूटने पर दर्जनों गांवों के ग्रामीणों ने प्रशासन से लगाई गुहार
बरसात आते ही कुछ इलाके ऐसे भी होते हैं तो दो से तीन माह के लिए जलमग्न हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ कानपुर के बिठूर थानाक्षेत्र के टिकरा इलाके का भी हाल होता है। यहां पर लोगों को बरसात के दो महीने पानी मे गुजरना पड़ता है। बरसात का मौसम आ गया है जल स्तर बढ़ने लगा है और पानी घरों तक पहुंच गया है पर यहां जिला प्रशासन की कोई तैयारी नहीं है।
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जुलाई माह से लेकर सितम्बर तक पाण्डु नदी के किनारे बसे टिकरा समेत कई गांवों को नदी का जल स्तर बढ़ने पर पलायन तक करना पड़ता है। जैसे-जैसे नदी में पानी का स्तर बढ़ता है तो जल भराव की समस्या इस कदर होती है कि लोगों को अपना घर छोड़कर जरूरी सामान लेकर घरों से पलायन करना पड़ता है।
यहां के लोग वहीं किसी ऊंची जगह पर रहकर अपने घर की भी देखभाल करते हैं और अपने परिवार की भी। सबसे बड़ी बात है ऐसा पिछले वर्षों में हो चुका है। यही टिकरा था जहां पर नाव से लोगों को अपने घरों में जाना पड़ रहा था।
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सड़क की दूसरी ओर लोगों को पन्नी के नीचे परिवार और जानवरों के साथ गुजर बसर करना पड़ रहा था। एक जगह पर हजारों की संख्या में लोगों को रहकर बीमारियों से भी लड़ना पड़ा था। ऐसा कुछ इस बार न हो तो बेहतर होगा क्योंकि अभी भी कोरोना का अंत हुआ नहीं है। फिर से इसकी रफ्तार में कुछ इजाफा हुआ है जो कि आंगे चलकर हो सकता है कोरोना कि तीसरी लहर बन जाये। फिलहाल जल स्तर बढ़ने से गांव के एक तफर के हिस्से में लोगों के घरों में पानी भरने लगा है।
प्रतिदिन हो रही बरसात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महज कुछ दिनों में पूरा गांव की जल मगन न हो जाये। इससे भी बड़ी बात तो यह है कि कोरोना के लहर के चलते जानकारी होने के बाद भी अभी तक यहां किसी प्रशासनिक अमले की नजर नहीं गई है। न ही किसी तरह की पहले से कोई व्यवस्था की गई है। हिन्दुस्थान समाचार कानपुर नगर जिला प्रशासन से अपील करता है कि पानी का जलस्तर और बढ़ने से पहले कोई वैकल्पिक व्यवस्था कर ली जाए जिससे न ही कोई जन हानि हो न ही बीमारियो की दस्तक यहां पहुंचे।
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हि.स