नवरात्र : मां मुक्ता देवी का दर्शन सुहागिनों के लिए माना जाता है अति सौभाग्यशाली
घाटमपुर से कानपुर देहात को जाती सड़क को मूसानगर जोड़ता है। इसी मूसानगर में मां मुक्तेश्वरी देवी मंदिर का भवन तो मुग़लकाल का है...
कानपुर,
- अलग-अलग तीन रूपों को धारण कर माता भक्तों का करती हैं उद्धार
लेकिन इसके गर्भ गृह और माता की प्रतिमा की स्थापना पौराणिक काल की है। कहा जाता है कि मां की प्रतिमा का रूप दिन के समय समय पर बदलता रहता है। सुहागिनों के लिए माँ मुक्ता देवी का रूप अति सौभाग्यशाली माना जाता है। मान्यता है कि मां ने ने नाम के अनुसार सभी तरह के कष्टों से भक्तों को मुक्ति प्रदान करती हैं।
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- भक्तों में मां मुक्ता देवी का मंदिर आस्था का बना हुआ केंद्र
यहाँ लगातार मिलने वाले प्राचीन प्रतिमाएं, प्रस्तर खंड आदि कई कालों के हैं। 500 वर्ष से लेकर 2600 वर्ष पूर्व तक के जिनमें से कुछ अब भी मंदिर के परिसर के पश्चिमी हिस्से में रखे हैं। बाकी कालान्तर में सरकारी सौतेले बर्ताव के कारण नष्ट या चोरी हो गये। प्रांगण के पीछे ही थोड़ी दूरी पर यमुना नदी बहते देख सकते हैं।
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आसपास पठारी सा ऊबड़-खाबड़ इलाका चम्बल में होने सा एहसास दिलाता है। यहां दर्शन के लिए सदियों से पूरे भारत वर्ष से श्रद्धालु के रूप में माता के भक्त, राजा और रंक माँ के दर्शन कर कृतार्थ होते रहे हैं। घाटमपुर होकर जाने पर कानपूर से मंदिर की दूरी लगभग 63 किलोमीटर है। घाटमपुर तक (पूरा हमीरपुर रोड) हाईवे निर्माण हो चुकने के कारण यात्रा अब सुगम है। मार्ग अच्छा होने से घाटमपुर से मूसानगर का 22-23 किलोमीटर का सफ़र भी बिलकुल कष्टदायक नहीं।
एक मंदिर जिसमें माता रानी एक दिन में धारण करती है तीन रूप
देश प्रदेश में सुर्खियों में रहता है यह मन्दिर कानपुर देहात के मूसानगर कस्बे के यमुना नदी के तट के किनारे पहाड़ो पर स्थित मुक्तेश्वरी के नाम से जाना जाता है। वही क्षेत्रीय लोगो की इस मंदिर में बड़ी आस्था है। इस के विषय मे बताया जाता है एक पिता ने अपनी बेटी के शादी कर रहे थे और बारात दरवाजे आ चुकी थी और पिता ने शादी से मना किया तो मुक्तेश्वरी नाम की लड़की ने अपनी तर्जनी उंगली काट कर खून बारात पर डाल दिया। जिससे बारात पत्थर की हो गयी और पिता के सर को काट दिया। जिससे उसी दिन से लड़की मुकेश्वरी देवी के नाम से जाना जाने लगी। यहाँ नवरात्रि में बड़ी धूम धाम से मेला लगता है। हजारो लोग दर्शन करने आते है।
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क्षेत्रीय लोग और भक्तों ने बताया कि देवी तीन रूप धारण करती है। सुबह लड़की और दोपहर महिला और शाम वृद्ध महिला के रूप इस अनोखी प्रतिमा को लोग देखने के लिए आते हैं। सैकड़ो वर्ष पुराना मंदिर किलेनुमा आकर में यमुना नदी के पहाड़ो की चोटी में बसा है। नवरात्रि के नौ दिन यहा हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है और यह कानपुर देहात की शान है।
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मंदिर के पुजारी सुमित तिवारी ने बताया कि कोरोना गाइड लाइंस को लेकर इस बार कम भीड़ हुई है और लोगों को मेन गेट पर मास्क और सेने टाइजर की व्यवस्था की गई है। लोगों को कोविड के कारण लोगों को उसके प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। मां मुक्ता देवी का एक बार आप को भी यहां आकर दर्शन करना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार