वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन के नाम से झांसी फिर जुडा
झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग काफी लंबे समय से चल रही थी। इसके बाद सरकार द्वारा इस पर विचार किया गया..
झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग काफी लंबे समय से चल रही थी। इसके बाद सरकार द्वारा इस पर विचार किया गया और वीरांगना लक्ष्मीबाई नाम इसे दिया गया। लेकिन शहर को लोगों को झांसी का नाम हटना पसंद नहीं आया और उन्होंने वीरांगना लक्ष्मीबाई के नाम के साथ झांसी को जोड़ने की मांग की थी जिसे स्वीकार कर लिया गया। चार माह पूर्व झांसी के रेलवे स्टेशन के नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई कर दिया गया था। स्टेशन के नाम से झांसी हटने का शहर के लोगों द्वारा भारी विरोध किया गया। लेकिन, अब एक बार फिर स्टेशन के नाम के साथ झांसी जोड़ दिया गया है। अब स्टेशन का नाम ‘वीरांगना लक्ष्मीबाई, झांसी’ हो गया है।
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इससे पहले कांग्रेस महासचिव राहुल रिछारिया ने कहा था कि रानी और झांसी को अलग नहीं किया जा सकता। रानी ने झांसी के लिए खुद को बलिदान कर दिया। महानगर अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ ने कहा कि भाजपा के नेता खुद स्टेशन के नाम में झांसी जोड़ने की मांग कर रहे हैं। ये राजनीतिक मुद्दा नहीं जनभावना का सवाल है। स्टेशन के नाम में झांसी जोड़ा जाए।
झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। बुंदेलखंड की जनता की मांग पर जनप्रतिनिधियों की तरफ से इसका प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया था। विगत तीन अगस्त को इस बात की जानकारी लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने दी थी। इसके बाद गृह मंत्रालय ने संबंधित एजेंसियों की टिप्पणियां और विचार आमंत्रित किए थे। इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद 24 नवंबर 2021 को गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को नाम बदलने के लिए पत्र लिखा था।
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- झांसी का नाम कैसे झांसी पड़ा
आइए अब जानते हैं कि झांसी का नाम कैसे झांसी पड़ा और फिर रानी लक्ष्मीबाई के साथ मुकम्मल तौर पर चस्पां हो गया। झांसी प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है. ‘भारतीय इतिहास’ में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। इस शहर को 1857 के बाद रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से जोड़कर देखा जाता रहा है।
यय शहर 09 शताब्दी में बसा, झांसी के क़िले का निर्माण 1613 ई. में ओरछा शासक वीरसिंह बुन्देला ने करवाया था। कहा जाता है राजा वीरसिंह बुन्देला ने दूर से पहाड़ी पर एक छाया देखी। जिसे बुन्देली भाषा में ‘झाँई सी’ बोला गया। इसी शब्द के बिगड़ते स्वरूप इस शहर का नाम झांसी पड़ गया। 1734 ई. में छत्रसाल के निधन के बाद बुन्देला क्षेत्र का एक तिहाई भाग मराठों को दे दिया गया। फिर ये एक मराठा राज्य बन गया।
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