गूगल ने शुरू की AI आधारित न्यूज़ समरी फीचर की टेस्टिंग, पब्लिशर्स की बढ़ी चिंता
गूगल एक बार फिर अपने यूजर्स के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में नया प्रयोग कर रहा है...

नई दिल्ली। गूगल एक बार फिर अपने यूजर्स के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में नया प्रयोग कर रहा है। कंपनी ने 14 जुलाई से एक नए AI-आधारित फीचर की टेस्टिंग शुरू की है, जो यूजर्स को न्यूज़ आर्टिकल की संक्षिप्त समरी (Summary) यानी मुख्य जानकारियाँ प्रदान करेगा। इस फीचर की टेस्टिंग फिलहाल भारत में आईओएस और एंड्रॉयड दोनों प्लेटफॉर्म्स पर की जा रही है।
गूगल का यह नया टूल उसके हाल ही में लॉन्च किए गए AI Mode Search का हिस्सा है, जिसे कंपनी ने भारतीय यूजर्स की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है। इस टूल की मदद से यूजर्स बिना पूरी खबर खोले ही उस आर्टिकल का ओवरव्यू यानी मुख्य जानकारी कुछ ही पंक्तियों में पढ़ सकेंगे।
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कैसे करता है यह फीचर काम?
सूत्रों के अनुसार, यह फीचर बातचीत की भाषा (कन्वर्सेशनल लैंग्वेज) का उपयोग करता है, जिससे यूजर्स को अपनी पसंदीदा और समझ में आने वाली भाषा में जानकारी मिलेगी। गूगल ने इस सुविधा को आसान बनाने के लिए एक 'सेव' (Save) विकल्प भी जोड़ा है, जिससे यूजर सर्च की गई जानकारी को बुकमार्क कर सकेगा। यह डेटा गूगल के ‘एक्टिविटी टैब’ में सेव हो जाएगा, जिससे यूजर भविष्य में दोबारा उस जानकारी को पढ़ सकेगा।
न्यूज़ पब्लिशर्स के लिए चिंता की वजह
हालांकि यह फीचर यूजर्स के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, लेकिन यह डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स और मीडिया हाउस के लिए एक नई चुनौती भी खड़ी कर सकता है। मीडिया विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यूजर बिना वेबसाइट खोले ही न्यूज़ की पूरी समरी पढ़ लेगा, तो इससे वेबसाइट पर आने वाला ट्रैफिक कम हो सकता है।
इससे पहले भी टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट में बताया था कि गूगल की SEO पॉलिसीज के चलते डिजिटल पब्लिशर्स पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में यह नया फीचर उनकी मुसीबत और बढ़ा सकता है।
हालांकि, गूगल का कहना है कि यह सुविधा न्यूज़ डिस्कवरी को बढ़ावा देगी और यूजर को वेबसाइट तक लेकर जाएगी। लेकिन यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी कि यह टूल डिजिटल मीडिया के लिए वरदान साबित होगा या मुसीबत का सबब बनेगा।
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निष्कर्ष:
जहाँ एक ओर गूगल का यह कदम तकनीक की दृष्टि से एक बड़ा इनोवेशन है, वहीं दूसरी ओर यह पारंपरिक डिजिटल पत्रकारिता के स्वरूप को भी चुनौती दे सकता है। आने वाला समय ही तय करेगा कि यह सुविधा किसके लिए फायदेमंद साबित होती है—यूजर्स के लिए, या कंटेंट क्रिएटर्स के लिए।
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