भूसा दान करने वाले किसानों को नहीं मिल पा रही बिजली
भूसा दान करने वाले किसानों को बिजली नहीं मिल पा रही है। एक समय किसानों से भूसा दान करने की अपील की गई और किसानों ने प्रशासन की झोली भूसा दान से भर दी। आज वही प्रशासन गरीब , मध्यमवर्गीय परिवार को महामारी से बचने के लिए बिजली नहीं दे पा रहा है।
भूसा दान करने वाले किसानों को बिजली नहीं मिल पा रही है। एक समय किसानों से भूसा दान करने की अपील की गई और किसानों ने प्रशासन की झोली भूसा दान से भर दी। आज वही प्रशासन गरीब , मध्यमवर्गीय परिवार को महामारी से बचने के लिए बिजली नहीं दे पा रहा है। ब्लाक मुख्यालय पहाड़ी में बिजली पल - पल में नखरे करती है और इस नखरे में आम आदमी का जन - जीवन अस्त व्यस्त हो गया है और पस्त होने के कगार पर खड़े हैं।
हालात यह हैं कि लोड बढ़ने का कारण बताया जाता है। जबकि लोड बढ़ने के साथ मशीनों की मरम्मत करने का काम बिजली विभाग का है , जर्जर तारों को बदलने का काम भी बिजली विभाग का है। सौभाग्य योजना के तहत थोक के भाव मे कनेक्शन बांट दिए गए परंतु उस अनुपात में लोड का संतुलन नहीं स्थापित किया।
कुछ विशेष कारण ऐसे भी हैं कि विशेष क्षेत्र को बिजली मुहैया कराई जाती है। इसका कारण बिजली विभाग के जनपदीय अधिकारी बता सकते हैं कि ऐसा क्यों किया जा रहा है ? यह समस्त चित्रकूट जनपद की समस्या बनी हुई है। पिछले दिनों सांसद बांदा ने ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखा और विधायक आनंद शुक्ला का ए. सी. से शिकायत के संदर्भ आडियो भी खूब वायरल हुआ परंतु बिजली नहीं वायरल हो पा रही है।
यदि ऐसी ही समस्या बनी रही तो महामारी के समय बेबी लाकडाउन में जनता घरों के अंदर भी भीषण गर्मी मे कैसे रहे ? कम से कम बिजली विभाग को नौनिहालों का ख्याल करना चाहिए। इंसानियत के नाते प्रशासन को युद्ध स्तर पर प्रयास कर जिंदगी को नवजीवन प्रदान करने हेतु काम करना चाहिए , समस्या समाप्त कर निजात दिलाना चाहिए।
प्रशासन को यह भी ध्यान मे रखना चाहिए कि ईश्वर की दिव्य दृष्टि से अछूते नहीं है। अफसरों के कर्म ईश्वरीय बही - खाता मे दर्ज हो रहे हैं और महामारी के समय की अव्यवस्था के कर्म भी दर्ज हो जाएंगे। यह सच है कि सेवा से बड़ा कोई पूण्य नहीं है तो सेवा के कर्तव्य को ना निभाने से बड़ा कोई पाप नहीं है। जनता गुहार लगा रही है तो यह सबकुछ सांसारिक सरकार से लेकर ईश्वरीय सरकार के खाते तक दर्ज होगा और कहीं ना कहीं - कभी ना कभी प्रतिफल अवश्य मिलता है।
अतः जन आवाज को महसूस कर अतिशीघ्र इस समस्या से निजात दिलाना आवश्यक है। अन्यथा जनता के सब्र का बांध अब टूटता नजर आ रहा है।
लेखक: सौरभ द्विवेदी, सामचार विश्लेषक