रूस और यूक्रेन के युद्ध से पर्यावरण पर संकट : पीपल मैन डॉ. रघुराज प्रताप सिंह की चिंता

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने मानवता के साथ-साथ पर्यावरण को भी गंभीर संकट में डाल दिया है....

रूस और यूक्रेन के युद्ध से पर्यावरण पर संकट : पीपल मैन डॉ. रघुराज प्रताप सिंह की चिंता
सांकेतिक फ़ोटो - सोशल मीडिया

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने मानवता के साथ-साथ पर्यावरण को भी गंभीर संकट में डाल दिया है। इस संघर्ष के कारण जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहे हैं। पर्यावरणविद् और रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. रघुराज प्रताप सिंह ने इस संकट पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, युद्ध से उत्पन्न दीर्घकालिक पर्यावरणीय समस्याओं को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।

युद्ध के कारण पर्यावरणीय संकट

युद्ध के दौरान बमबारी, विस्फोट और सैन्य गतिविधियाँ केवल मानव जीवन को प्रभावित नहीं करतीं, बल्कि ये पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुँचाती हैं। युद्ध क्षेत्रों में कीटनाशकों, विस्फोटक सामग्री और अन्य हानिकारक रसायनों के उपयोग से भूमि, जल और वायु में प्रदूषण फैलता है।

भूमि प्रदूषण: युद्ध से भूमि पर हुए विस्फोटों से मिट्टी में विषाक्त तत्वों का प्रवेश होता है, जिससे कृषि उत्पादकता और मिट्टी की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

जल प्रदूषण: युद्ध के दौरान नदियों और झीलों में तेल, रसायन और अन्य खतरनाक तत्व गिरने से जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है, जिससे जलवायु परिवर्तन की गति बढ़ सकती है।

वायु प्रदूषण: युद्ध में हथियारों से निकलने वाला धुआं और जहरीली गैसें वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं। यह न केवल स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग को भी तेज करता है।

जैव विविधता पर प्रभाव

डॉ. रघुराज प्रताप सिंह के अनुसार, युद्ध के कारण प्राकृतिक निवास स्थानों का विनाश होता है, जिससे वन्यजीवों की आबादी पर खतरा मंडराता है। खासकर संकटग्रस्त प्रजातियों पर यह प्रभाव और अधिक चिंताजनक है। युद्ध से उनके लिए सुरक्षित स्थानों का नाश हो जाता है, जिससे उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।

स्थायी विकास और जलवायु परिवर्तन

रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक स्थायी विकास लक्ष्यों (SDGs) पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है। संघर्ष के कारण ऊर्जा स्रोतों, विशेष रूप से गैस और तेल, के लिए बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को कमजोर किया है।

पुनर्निर्माण में पर्यावरण की भूमिका

युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण में पर्यावरण को प्राथमिकता देना आवश्यक है। डॉ. रघुराज प्रताप सिंह का मानना है कि पुनर्निर्माण के दौरान हरित तकनीकों और स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाने से पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता है। यह न केवल प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करेगा, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका को भी स्थायित्व प्रदान करेगा।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी

रूस-यूक्रेन युद्ध के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर काम करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र को युद्ध क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योजनाएँ बनानी चाहिए और वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए कानूनों को सख्ती से लागू करना चाहिए। साथ ही, सामाजिक जागरूकता बढ़ाने और शिक्षा के प्रसार से भी युद्ध के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

अंततः, रूस और यूक्रेन के बीच का यह युद्ध मानवता और पर्यावरण दोनों के लिए गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। डॉ. रघुराज प्रताप सिंह की चिंताएँ इस बात की ओर इशारा करती हैं कि हमें इस संकट के दीर्घकालिक प्रभावों पर ध्यान देना चाहिए।

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