पान मसाला गुटखा का अधिक प्रचलन होने से बीड़ी का धंधा मंदा, तेंदूपत्ता पर बुरा असर

स्वास्थ्य के प्रति बढ़ रही जागरूकता, जीएसटी में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी तथा पान मसाला गुटखा का अधिक प्रचलन होने के..

May 26, 2022 - 07:09
May 26, 2022 - 07:11
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पान मसाला गुटखा का अधिक प्रचलन होने से बीड़ी का धंधा मंदा, तेंदूपत्ता पर बुरा असर

बांदा,

स्वास्थ्य के प्रति बढ़ रही जागरूकता, जीएसटी में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी तथा पान मसाला गुटखा का अधिक प्रचलन होने के कारण बीड़ी की मांग घट रही है और बाजार में तेंदूपत्ता के दामों में भी गिरावट आई है। जिससे तेंदूपत्ते का अपेक्षित मूल्य प्राप्त न होने के कारण वन विभाग को लगातार हानि हो रही है। इसके लिए उत्तर प्रदेश शासन को परामर्श देने के लिए गठित परामर्शदायी समिति द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण दर में वृद्धि की सिफारिश की गई है। 

चित्रकूट धाम मंडल के अंतर्गत चित्रकूट जनपद का संपूर्ण वन क्षेत्र तथा बांदा, महोबा व हमीरपुर का आंशिक वन क्षेत्र तेंदूपत्ता के वृक्षों से आच्छादित है। तेंदूपत्ता का प्रयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है, तेंदूपत्ता मुख्यतः वन क्षेत्रों में ही है। वन क्षेत्रों के निकटवर्ती ग्रामीण तेंदूपत्ता की तोड़ाई का कार्य करते हैं। यह लोग पत्तियों को तोड़कर 50- 50 पत्तियों की गड्डियां बनाकर वन निगम द्वारा स्थापित क्रय केंद्रों पर लाते हैं। तेंदूपत्ता की इस समय तुडाई चल रही है। तोडाई का कार्य 1 मई से 5 जून तक चलता है। 

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चित्रकूट, बांदा, महोबा एवं हमीरपुर के गरीब आदिवासियों एवं ग्रामीणों को तेंदूपत्ता संग्रहण में रोजगार मिलता है । चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में आसपास के जंगलों में इसे हरा सोना भी कहते हैं यहां मजदूरों को साल भर इसका इंतजार रहता है। गर्मी के सीजन आते ही तेंदूपत्ता की फसल लहलहाने लगती है। मजदूरों को 1000 बंडल के हिसाब से 15 सौ रुपए मिलता है। इसमें एक परिवार के लगभग 5 सदस्य कार्य करते हैं।

उत्तर प्रदेश वन निगम द्वारा संग्रहणकर्ताओं से संग्रहित पत्तियों का क्रय उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्धारित संग्रहण है दर पर किया जाता है। इधर लगातार बीड़ी का उद्योग मंदा पड़ने से तेंदूपत्ता की कीमतों पर भी असर पा रहा है। तेंदूपत्ता परामर्श दायी समिति के संयोजक और वन संरक्षक चित्रकूट धाम व्रत बांदा एनके सिंह का कहना है कि विगत 10 वर्षों यह देखा गया है कि तेंदूपत्ता के व्यवसाय में विभाग को लाभ नहीं है औसतन 2.71 करोड़ प्रतिवर्ष की हानि हो रही है। उन्होंने बताया कि एक ग्रामीण मजदूर औसतन 4 घंटे कार्य करके 140 गड्डी प्रतिदिन संग्रह कर लेता है।

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गत वर्ष महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत मजदूरी दर 201 रुपए प्रतिदिन निर्धारित थी। जो वर्तमान में भी है। इस समय दैनिक मजदूरी एवं महंगाई में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए श्रमिकों के परिश्रमिक दर में वृद्धि किया जाना आवश्यक समझा गया है। उनका कहना है कि तेन्दूपत्ता परामर्श दायी समिति के अध्यक्ष चित्रकूट धाम मंडल के आयुक्त दिनेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में समिति की बैठक में मजदूरों के लिए संग्रहण दर में 1660 और निजी उत्पादकों के लिए 1650 वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है।

इसकी संस्तुति करते हुए शासन को भेजा गया है। इस समय मजदूरों के लिए संग्रहण दर 15 सौ और निजी उत्पादकों के लिए 1510 रुपए निर्धारित हैं। वही तेंदूपत्ता व्यवसायी संघ के प्रतिनिधि कमलेश कुमार मिश्रा का कहना है कि वर्तमान महंगाई एवं मजदूरी में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए क्रय दरों वृद्धि किया जाना आवश्यक हो गया है। तेंदूपत्ता तुडान के दौरान तेंदूपत्ता परिवहन की लागत तथा सामान्य पारिश्रमिक दरो पर भी इस व्यवसाय में बुरा असर पड़ता है।

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