आग बुझाने वाले प्रशिक्षित फायरमैन नहीं, जिला अस्पताल और नगरपालिका की सुरक्षा भगवान भरोसे

दमोह जिले में आगजनी जैसी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित फायरमैनों का अभाव है...

आग बुझाने वाले प्रशिक्षित फायरमैन नहीं, जिला अस्पताल और नगरपालिका की सुरक्षा भगवान भरोसे

दमोह। दमोह जिले में आगजनी जैसी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित फायरमैनों का अभाव है। यह स्थिति न केवल नगरपालिका बल्कि जिला अस्पताल की सुरक्षा को भी संकट में डाल रही है।

जिला अस्पताल की सुरक्षा में लापरवाही

जिला अस्पताल, जहां महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष वार्ड स्थापित हैं, में फायर सेफ्टी सिस्टम की भारी कमी है। अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. राकेश राय ने दावा किया कि यहां का स्टाफ—डॉक्टर, नर्स और वार्ड बॉय—आग बुझाने में सक्षम हैं। हालांकि, उनके इस दावे पर सवाल खड़े होते हैं क्योंकि अस्पताल में न तो प्रशिक्षित फायरमैन हैं और न ही आग बुझाने के उपकरण।

यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब उत्तर प्रदेश के झांसी में हुए अग्निकांड जैसी घटनाएं सामने आती हैं। झांसी के मेडिकल अस्पताल में आगजनी की वजह से दस बच्चों की मौत हुई थी। बावजूद इसके, दमोह के जिम्मेदार अधिकारी अभी तक इस मामले में निष्क्रिय नजर आ रहे हैं।

नगरपालिका में भी फायरमैनों का अभाव

दमोह नगरपालिका में भी प्रशिक्षित फायरमैन उपलब्ध नहीं हैं। बीते वर्ष यहां पटाखा फैक्ट्री में आगजनी की एक बड़ी घटना हुई थी, जिसमें सात से आठ लोगों की मौत हो गई थी। उस समय भी बिना प्रशिक्षित कर्मियों के दम पर आग बुझाने की कोशिश की गई थी।

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मुख्य नगरपालिका अधिकारी प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि स्थानीय स्तर पर फायरमैन उपलब्ध नहीं होने के कारण सैडमैप एजेंसी से डिमांड की गई है। फायरमैन नियुक्ति का प्रस्ताव पीआईसी को भेजा गया है, लेकिन मंजूरी का इंतजार है।

राज्य सरकार के आदेश की अनदेखी

प्रदेश सरकार ने जिला स्तर के अस्पतालों और नगरपालिकाओं में फायरमैन नियुक्त करने और फायर सेफ्टी सिस्टम स्थापित करने के निर्देश पहले ही जारी किए थे। इसके बावजूद दमोह में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

नागरिकों की सुरक्षा पर सवाल

दमोह की मौजूदा स्थिति सवाल खड़े करती है कि आपातकालीन परिस्थितियों में जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन निभाएगा? क्या अप्रशिक्षित कर्मचारी ऐसी गंभीर परिस्थितियों से निपटने में सक्षम होंगे, या यह जिला अस्पताल और नगरपालिका की लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा?

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इनका कहना है:

प्रदीप कुमार शर्मा, मुख्य नगरपालिका अधिकारी:

"हमने सैडमैप से फायरमैन की डिमांड की है। प्रस्ताव पीआईसी में भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही नियुक्तियां की जाएंगी।"

दमोह की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है, बल्कि संभावित हादसों के प्रति चेतावनी भी देती है।

दमोह से इम्तियाज़ चिश्ती की रिपोर्ट... 

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