दो दिवसीय परम्परागत वैद्य सम्मेलन का हुआ समापन

दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम द्वारा रविवार को उद्यमिता विद्यापीठ के लोहिया सभागार में परंपरागत वैद्यों के दो...

Dec 30, 2024 - 10:14
Dec 30, 2024 - 10:15
 0  1
दो दिवसीय परम्परागत वैद्य सम्मेलन का हुआ समापन

यूपी एवं एमपी के 16 जिलों के 154 परंपरागत वैद्यों ने साझा किए अनुभव

चित्रकूट। दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम द्वारा रविवार को उद्यमिता विद्यापीठ के लोहिया सभागार में परंपरागत वैद्यों के दो दिवसीय सम्मेलन का समापन हुआ। समापन अवसर पर जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ शिशिर कुमार पांडेय, उपसंचालक शिक्षा रीवा कमलेश्वर प्रसाद तिवारी, डॉ पूर्णिमा विशेषज्ञ योग एवं रसाहार, दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन, वैद्य अंबिका प्रसाद, बैद्य राजेंद्र पटेल ने भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन के पश्चात समारोप कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ।

वैद्य राजेन्द्र पटेल ने बताया कि उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के 16 जिलों के 154 वैद्यों ने इस कार्यक्रम में प्रतिभाग किया है। जिसमें स्वावलम्बन केंद्रों से 83, सम्पर्कित केंद्रों से 39 एवं अन्य जगहों से 32 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। डॉ पूर्णिमा ने कहा कि महिलाओं से संबंधित रोगों पर विशेष चर्चा होनी चाहिए एवं ऐसे कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी में बृद्धि हो। सभी से अपील किया कि परिवार की महिलाओं को बैद्य के रूप में स्थापित करने का प्रयत्न करें। इस परम्परागत ज्ञान में महिलाएं सहभागी रहती हैं। कुलपति डॉ शिशिर कुमार पांडेय ने कहा कि नाना जी युगदृष्टा थे। इसलिए उन्होंने स्थानीय स्तर पर उपलब्ध ताजी हरी जड़ी बूटियों से आजीवन स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया एवं स्थानीय ज्ञान को सार्वभौमिक बनाने का प्रयत्न किया। दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा परम्परागत ज्ञान के सर्वोपयोगी बनाने हेतु जो प्रयत्न किये जा रहे है वह हमारे परम्परागत ज्ञान को एक दूसरे के साथ साझा करने का बेहतर प्रयास है। ऐसे कार्यक्रमों को छोटे छोटे समूहों में महानगरों तक पहुँचाना चाहिए जिससे वे स्थानीय स्तर पर उपलब्ध ज्ञान से निरोगी रह सकें। समापन सत्र में दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि सभी ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन बचाने का महान कार्य निःस्वार्थ भाव से कर रहे हैं वह प्रशंसनीय है। सभी ग्राम आबादियों में परम्परागत वैद्य हों और हम अपने ज्ञान को अपनों के साथ साझा करें और उसे आगे बढ़ाएं। सभी मिलकर कार्य करें। सम्मेलन में आये हुए वैद्यों ने अपने अपने अनुभव भी साझा किये और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन संस्थान को वर्ष में कम से कम दो बार आयोजित करने चाहिए। कुछ वैद्यों ने सुझाव दिया कि किसी विशेष क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली औषधि को यहाँ लेकर आना चाहिए जिससे अन्य भी उससे लाभान्वित हो सकें साथ ही संस्थान में उन्हें रोपित कर उसका संरक्षण एवं संवर्धन हो सके।

कार्यक्रम का संचालन मनोज सैनी प्रभारी उद्यमिता विद्यापीठ द्वारा किया गया। कार्यक्रम में दीनदयाल शोध संस्थान के उप महाप्रबंधक डॉ अनिल जायसवाल, आयुर्वेद रिसर्च शाला के प्रभारी डॉ मनोज त्रिपाठी, आरोग्य धाम के ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग के डॉ राजीव शुक्ला, समरजीत सिंह, दयालाल यादव डॉ, समाजशिल्पी दम्पति प्रभारी डॉ अशोक पांडेय, राजेन्द्र सिंह, हरीराम सोनी, कालिका प्रसाद श्रीवास्तव, अनिल कुमार सिंह निदेशक जन शिक्षण संस्थान सहित संस्थान के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि आरोग्यधाम में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले वैद्य सम्मेलन का शुभारंभ नानाजी देशमुख ने वर्ष 2003 में किया था। वैद्य सम्मेलन का उद्देश्य परंपरागत आयुर्वेदिक नुस्खों की जानकारी एवं ज्ञान का आदान प्रदान कर आयुर्वेद के माध्यम से आजीवन स्वास्थ्य रखने के उपायों की जानकारी अपनाकर ग्रामीण जनों को स्वस्थ रखना है। प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षणार्थियों को डॉ मनोज त्रिपाठी ने आरोग्यधाम स्थित औषधि वाटिका का भ्रमण कराकर औषधीय पौधों की पहचान भी कराई गई।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0