चित्रकूट : दो दिवसीय रामायण उत्सव का हुआ समापन
भारत सरकार की नेशनल प्रजेंस स्कीम के तहत अयोध्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग...
राम कथा को तूलिका से कला साधकों ने दिया अद्भुत रंग
चित्रकूट। भारत सरकार की नेशनल प्रजेंस स्कीम के तहत अयोध्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग, जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय रामायण उत्सव का भव्य समापन हुआ। इस अवसर पर शैक्षिक कार्यक्रम एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां वनवासी राम के विषय को ध्यान में रखकर प्रस्तुत की गई। विवि समेत जिले के विशिष्ट कला साधकों ने चित्रकार शिविर में अपनी तूलिका से भगवान राम की वनवास से संबंधित चित्रों को जीवंत निर्मित करते हुए राम कथा की एक सीरीज बनाई। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ लवकुश द्विवेदी ने कहा कि कलाकारों के चित्रों को संस्कृति विभाग के प्रदर्शनी में प्रदर्शित करेंगे। कुलपति कुलपति प्रो. शिशिर कुमार पांडेय ने भी कलाकारों की सराहना की।
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प्रथम संध्या पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में मनमोहक संगीतमय प्रस्तुतियां हुई। जिसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के संगीत संकाय के डॉ राम शंकर ने संगीत रामायण में लिखित शास्त्रीय बंदिशों से वनवासी राम के प्रसंग को क्रमबद्ध सुनाते हुए श्रृंगवेरपुर से चित्रकूट तक की यात्रा का वर्णन किया। दिव्यांग विश्वविद्यालय के डा. विशेष नारायण मिश्र ने रामचरितमानस से भुसुंडी रामायण का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के डा. राजा पांडेय, जिले की नवोदित कलाकार अमृता मिश्रा एवं नम्रता मिश्रा ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में विद्वानों ने वनवासी राम के महत्व को बताते हुए व्याख्यान दिए। समापन पर कुलपति प्रो. शिशिर कुमार पांडेय ने विद्वान वक्ताओं के प्रति आभार जताया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन देश-विदेश के विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे। जनकपुर नेपाल से आए डॉ अरुण कुमार झा ने भगवान श्री राम के आदर्श को पारिवारिक आचरण के रूप में प्रत्येक व्यक्ति को ग्रहण करने पर बल दिया।
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दीपक कुमार मिश्र ने श्री राम भक्त हनुमान के चरित्र को अपने साहित्य एवं स्वरचित कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। डॉ प्रमिला मिश्रा ने बाल्मिक रामायण में सीता जी के चरित्र पर प्रकाश डाला। डॉ निहार रंजन मिश्र ने श्री राम के चरित्र को आस्था के आधार पर रखा। डा. गरिमा मिश्रा ने बाल्मीकि रामायण में वर्णित श्री राम के चरित्र के आधार पर राष्ट्रीय समरसत्ता में योगदान को प्रकट किया। डॉ शशिकांत त्रिपाठी ने श्री राम तत्व की विस्तृत व्याख्या की। डॉ शशिकांत त्रिपाठी ने श्री राम के विभिन्न चरित्र को विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किया।
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