दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित
जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश अवकाश प्राप्त माध्यमिक शिक्षक कल्याण एसोसिएशन...
चित्रकूट। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश अवकाश प्राप्त माध्यमिक शिक्षक कल्याण एसोसिएशन के प्रांतीय अधिवेशन में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता श्रीमती ज्योति स्वरूप अग्निहोत्री ने की।
कवि सम्मेलन के संयोजक और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कवि रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी 'प्रलयंकर' ने कहा, "धर्म तो सनातन है और कोई धर्म नहीं, यही धर्म सास्वत महान देख लीजिए। उंगली के पोर-पोर पर शंख और चक्र के निशान देख लीजिए।" उनके इस उद्घोष ने उपस्थित श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। साहित्यविद नंदा पांडेय, गोरखपुर ने अपनी रचना में कहा, "बुलंदी देर तक किस सख्श के हिस्से में रहती है, बड़ी ऊंची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है। यह ऐसा फर्ज है, जिसको अता कर नहीं सकता मैं, जब तक घर न पहुँच मेरी माँ सजदे में रहती है।"
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सम्मेलन में अन्य कवियों ने भी अपनी-अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। वीरेंद्र शुक्ल ने कहा, "धरती के आंचल को ईश ने सजाया, खूब प्रकृति ने मानव को दिए उपहार हैं।" इसी क्रम में कवि आशाराम अवस्थी ने अपने गीत 'देश हमारा महान जहाँ में चन्दन है यह देश की माटी' प्रस्तुत किया।
दुष्यंत शुक्ल सिंह ने राष्ट्रप्रेम का संदेश देते हुए कहा, "बुजदिल है वह मानव जिसमें देश प्रेम का ज्वार नहीं, वह कायर है जिसको अपनी मातृ भूमि से प्यार नहीं।" भवानी प्रसाद तिवारी 'कमल' बाराबंकी ने पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा, "पाक, तू है नदी छोटी मेरा भारत समुंदर है, तेरी औकात सारी मेरे इक सूबे के अंदर है।"
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इसके अलावा, श्रीमती ज्योति स्वरूप अग्निहोत्री, विजय त्रिपाठी (लखनऊ), महराज दीन मिश्र, देव कुमार सिंह (बलिया), धनन्जय पाण्डेय, नवीन वैश्वारी, वीरेंद्र शुक्ल, कौशल किशोर चतुर्वेदी, विजय बहादुर, अरुण कुमार पांडेय, और डॉ. ओपी त्रिपाठी ने भी अपनी कविताओं का पाठ कर सम्मेलन की गरिमा बढ़ाई।
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