चित्रकूट का सौन्दर्य

चित्रकूट का सौन्दर्य

चित्रकूट यह महातीर्थ हैं,
पीठों में उत्तम है। 
अर्थ और परमार्थ प्रदाता
नहीं किसी से कम है।।

मोक्ष चाहने वालों को यह
देता रहा मुक्ति धन।
और कामियों को देता यह
काम देव सुख-वर्द्धन।।

हे गिरिराज! तुम्हारा गौरव
हिमगिरि से ऊपर है।
महिमावान तुम्हारी महिमा
सर्व विदित भू पर है।।

चित्रकूट यह राम पदों  से
अंकित है, भूषित है।
पर्वतराज सिद्ध कामदगिरि
वैभव स्वर्ण जटित है।

श्री कामदगिरि
मनोकामना पूरा करने वाला।
‘कामद’ का यह नाम
विश्व में है बेजोड़ निराला।।

‘कामद’ श्री गिरिराज तुम्हारी
परिक्रमा जन करते।
शोक, ताप, संताप सभी
मंदाकिनी से हैं हरते।।

चित्रकूट की धरा धन्य है,
जिसमें जीवन-धन है।
नियति नटी के लिए यहीं
स्वच्छंद वितान सघन है।।

विंध्य श्रेणियों की शोभा
कितनी कमनीय ‘ललित’ है।
लगता जैसे यहीं सृष्टि का
चिर, सौन्दर्य फलित है।।

चित्रकूट यह मनो जगत को
कहां उठा ले जाता।
लगता जैसे चित चेतन का
प्रासादन बन जाता।।

वाराणसी तीर्थ, श्री गिरि,
केदार, धाम पुष्कर है।
मानसरोवर से बढ़कर यह
चित्रकूट भास्वर है।।

नल ने आकर इसी धरा में
अपनी प्यास बुझायी।
दमयंती की विरह-पीर को
शान्ति यहीं मिल पायी।।

अर्थ दान देने वाले,
परमार्थ प्रदायक तुम हो।
कामद होकर काम-कामिनी
के तुम कल्पद्रुम हो।।

- डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित ‘ललित’

(लेखक राष्ट्रगौरव व राष्ट्रकवि उपाधि से अलंकृत तथा जयशंकर प्रसाद व विश्व सहस्त्राब्दि पुरस्कार से पुरस्कृत हैं)

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