इन शर्तों के आधार पर यमुना नदी में नावों का संचालन 8 दिन बाद फिर से शुरू
बांदा के मरका गांव पर यमुना नदी में हादसे के बाद नदी में नाव के संचालन में पाबंदी लगा दी गई थी...
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बांदा के मरका गांव पर यमुना नदी में हादसे के बाद नदी में नाव के संचालन में पाबंदी लगा दी गई थी। आठ दिन बाद नाव का संचालन शुरू कर दिया गया है। इससे डेढ़ लाख लोगों को राहत मिली है।
तकरीबन 150 गांवों से जुड़ी केन व यमुना नदी में इस पार से उस पार जाने के लिए एक नाव में कुल 10 यात्री यात्रा कर सकेंगे। नाव का संचालन दिन में 12 घंटे होगा। बाइक व नशेड़ियों को नाव में नहीं बैठाया जाएगा। नाव में दो बड़े-बड़े प्लास्टिक के ट्यूब भी रखे जाएंगे, जिससे अचानक यदि कोई हादसा हो तो लोगों को बचाया जा सके।
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मरका घाट पर 10 अगस्त को हुए नाव हादसे के बाद जिलेभर में नाव संचालन पर पाबंदी लगा दी गई थी। इससे जिले के करीब 12 घाटों पर नाव का संचालन बंद हो गया था। शुक्रवार को एसडीएम पैलानी लाल सिंह यादव ने केन नदी घाट पहुंचकर प्रधान मैना देवी को बुलाया। वहां नाव संचालन की शर्तें रखी गईं। स्थानीय रिपोर्टिंग चौकी की ओर से तैयार शर्तों को ग्रामीणों के समक्ष रखा गया।
कहा गया कि तेज लहरों के दौरान नाव का संचालन बंद रहेगा। सुबह साढ़े 6 से शाम साढ़े 6 बजे तक ही नाव चलेगी। प्रशासनिक शर्तों पर अमल न किए जाने पर नाविक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय पुलिस बीच-बीच में मौके पर जांच भी करेगी। नाव का संचालन बंद होने पर नाविक नाव में रखा जरूरी सामान पतवार आदि अपने घर ले जाएगा। ताकि नाव का दूसरे लोग दुरुपयोग न कर सकें।एसडीएम ने नाव घाट पर दो सिपाहियों की ड्यूटी भी लगा दी हैं। उधर, स्थानीय लेखपालों को भी निर्देशित किया गया है कि इस पार से उस पार आने-जाने वालों की सूची तैयार करें। प्रत्येक चार घंटे में निगरानी भी करें।
एसडीएम पैलानी द्वारा भ्रमण कर बताया गया की ग्राम गडरिया, अमारा,पड़ोहरा मरोहला में चंद्रावल नदी में बड़ी नाव में 10 तथा छोटी मझोली नाव में 5 सवारियां बैठा कर पुरानी टयूब रख़ कर पुलिस व राजस्व टीम की देखरेख में नावें संचालित करायी गयीं। मरका में सेतु निगम का छोटा स्ट्रीमर सवारियों के लिए लगाया गया है।
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