मातृ दिवस पर दो दिवसीय भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
नरैनी रोड स्थित ‘विद्यावती निगम मेमोरियल पब्लिक स्कूल’ में दो दिवसीय मातृ दिवस कार्यक्रम सम्पन्न हुआ...

बाँदा। नरैनी रोड स्थित ‘विद्यावती निगम मेमोरियल पब्लिक स्कूल’ में दो दिवसीय मातृ दिवस कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। प्रथम दिवस की मुख्य अतिथि डॉ. दीपाली गुप्ता प्राचार्या, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय बाँदा एवं द्वितीय दिवस की मुख्य अतिथि श्रीमती मालती बासू अध्यक्ष, नगरपालिका बाँदा रहीं।
कार्यक्रम का उद्घाटन विद्यालय की प्रधानाचार्या, प्राइमरी हेड, किड्जी हेड एवं मुख्य अतिथि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की शुरूआत विद्या की आराध्य देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर मालार्पण व सरस्वती वंदना से किया गया। तत्पश्चात विद्यालय के बच्चों द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी माताओं का रोली व अक्षत से तिलक कर अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में माताओं के लिए कुछ रोचक खेल व क्रिया-कलाप जैसे-फाइन्ड द स्माइल, पहचान कौन, रैम्प वॉक, माता एवं बच्चों का सम्मिलित नृत्य, म्यूजिकल चेयर, वॉक विद चाइल्ड, बलून बैलेंसिंग और डांडिया को शामिल किया गया, जिसमें सभी माताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। रैम्प वॉक में माँ और बच्चे का वात्सल्यमय संबंध देखने लायक था।
इस खास मौके पर मुख्य अतिथि व उपस्थित माताओं ने कार्यक्रम में संबोधित किया। डॉ. दीपाली गुप्ता ने कहा कि ‘माँ’ शब्द अपने में असीम है। हर मां को जन्मदात्री माँ से बढ़कर यशोदा जैसी माँ बनने की आश्यकता है। हमारे आस-पास ऐसे कई बच्चे होते हैं जो माँ की ममता से वंचित हैं। उनके प्रति हमारा उत्तरदायित्व हो कि हम उनके अंदर वात्सल्य की भावना जगा सकें ताकि वह भी करुणामय भावना से ओतप्रोत होकर समाज के सुसभ्य नागरिक बन सकें।
श्रीमती मालती बासू ने अपने संबोधन में कहा कि आज माताओं को अपने बच्चे के लालन-पालन के साथ-साथ उनमें संस्कार भरने की भी आवश्यकता है। बच्चे की दुनिया केवल मोबाइल में रची-बसी है, जिससे बच्चा चिड़चिड़ा और जिद्दी बन रहा है। ऐसे में ‘माँ’ की भूमिका अहम हो जाती है क्योंकि ‘माँ’ ही बच्चे की प्रथम गुरु कही गई है।
इस अवसर पर उपस्थित माता श्रीमती कविता अग्निहोत्री, श्रीमती नीलम, श्रीमती अर्चना गुप्ता, श्रीमती माया गुप्ता, श्रीमती वर्शा सेठ, डॉ. अर्चना भारती, डॉ. अनीता अग्रहरि, डॉ नीतू सिंह, श्रीमती प्रिया जैन, श्रीमती रागिनी शिवहरे एवं श्रीमती सारिका सिंह ने अपने-अपने उद्बोधन में मातृ शक्ति के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
वहीं विद्यालय प्रधानाचार्या ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान परिवेश में विषम परिस्थतियों के बावजूद भी ‘माँ’ का त्याग व समर्पण बच्चे के बौद्धिक विकास में सहायक है। ‘माँ’ की जगह कोई नहीं ले सकता। ‘माँ’ केवल एक शब्द नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीवन का अभिप्राय है। अतः सभी माताएँ अपने बच्चों में नैतिक मूल्य एवं संस्कार ज़रूर विकसित करें, ताकि बच्चे बड़े होकर एक अच्छे समाज का निर्माण करें व जीवन को खुशहाल बनाएँ।
अंत में कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हुए प्रधानाचार्य ने कार्यक्रम समापन की घोषणा की।
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