बुंदेलखंड की इस लोकसभा सीट पर अपना दल सुप्रीमो अनुप्रिया पटेल, उतार सकती है अपना प्रत्याशी
अपना दल सुप्रीमो और केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के जालौन जनपद मुख्यालय उरई में बीती 3 जनवरी को हुई जनसभा के बाद भाजपा के दो टिकट ...
अपना दल सुप्रीमो और केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के जालौन जनपद मुख्यालय उरई में बीती 3 जनवरी को हुई जनसभा के बाद भाजपा के दो टिकट के दावेदारों मे से दो ने अनुप्रिया पटेल को भी साधने की गोपनीय रणनीति बना ली है। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जीत को पक्की मानते हुए टिकट के प्रबल दावेदारों की संख्या अब बढ़कर 6 हो गई है। वैसे तो भाजपा में इस संसदीय क्षेत्र टिकट के लिए पहले से चार प्रबल दावेदार थे। लेकिन अनुप्रिया पटेल के दौरे के बाद से दो प्रमुख नेताओं का टिकट की दावेदारी में और नाम बढ़ गया है और यह दो नाम इतने प्रबल है कि इनमें से किसी को भी टिकट मिल सकता है।
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मालूम हो कि पहले से इस संसदीय सुरक्षित क्षेत्र के लिए जिन चार नेताओं का टिकट की दावेदारी के लिए प्रमुखता से नाम चल रहा है उनमें सबसे पहले हैं इस संसदीय क्षेत्र के पांच बार के सांसद भाजपा और संघ से बचपन से जुड़े हुए केंद्रीय राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा है। वह और उनकी लॉबी टिकट पक्का मानकर चल रही है। लेकिन उनको वर्ष 2007 में हराकर समाजवादी पार्टी से सांसद बनने वाले डॉ घनश्याम अनुरागी जो सपा से छोड़कर पहले बसपा में आए फिर वर्ष 2019 में जब बसपा पार्टी नेतृत्व ने उन्हें इस सुरक्षित संसदीय की सीट से टिकट नहीं दिया तो वह बसपा को अलविदा कह के भाजपा में शामिल हो गए। किस्मत के धनी घनश्याम अनुरागी को भाजपा में जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का मौका मिल गया। अब वह भाजपा में इस इस संसदीय सीट से अपनी दावेदारी प्रबलता के साथ रख रहे हैं इस बीच उन्होंने अपनी भाजपा और संघ नेतृत्व में भी पैठ बना ली है और वह और उनकी लॉबी अब उनका टिकट पक्का मानकर चल रही है।
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इस सीट के लिए भाजपा के सदर विधायक गौरी शंकर वर्मा जो इस सीट से दो बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं। अब इस संसदीय सीट से प्रबल दावेदार के रूप में टिकट की मांग कर रहे हैं। विधायक गौरीशंकर वर्मा भी केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा की तरह संघ के बाल स्वयंसेवक रहे हैं एवं भाजपा से जब से जुड़े है तब से उन्होंने भाजपा कभी नहीं छोड़ी है। इन दोनों नेताओं को संघ का स्वयंसेवक एवं भाजपा का पुराना कार्यकर्ता माना जाता है। इसी तरह बुंदेलखंड विकास बोर्ड के सदस्य तथा पूर्व आईआरएस अधिकारी शंभू दयाल भी इस टिकट के प्रबल दावेदार है। उनका और उनके समर्थकों का कहना है की वैसे तो वर्ष 1952 से जब से इस देश में लोकसभा के चुनाव और विधानसभा के चुनाव शुरू हुए भाजपा औ संघ का शीर्ष नेतृत्व दलित समाज मे कोरी समाज को ही आना मुख्य वोट बैंक मानता ही आ रहा है। लेकिन नरेंद्र मोदी के वर्ष 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अब भाजपा मे यह परिवर्तन आया है कि उसे ओबीसी समाज और दलित वर्ग समाज बहुत तेजी से जुड़ा है। इसका एक बहुत बड़ा कारण यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के लिए जो मुफ्त खाद्यान्न योजना शुरू की है उसके कारण सबसे ज्यादा लाभ दलित और अल्पसंख्यक समाज को हुआ है। जिसमें दलित वर्ग का समाज बड़े पैमाने पर भाजपा से जुड़ गया है। जब दलित समाज का सभी वर्ग के लोग भाजपा को वोट दे रहे हैं। तो फिर भाजपा नेतृत्व को भी कोरी समाज के अलावा अहिरवार, दोहरे और जावट समाज को भी प्रतिनिधित्व देना चाहिए। जिस तरह से उत्तर प्रदेश में दलित समाज को जोड़ने की जिम्मेदारी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण को सौंपी गई है। जो चौधरी समाज में जाटव समाज से आते हैं। इसलिए इस बार मुझे भी टिकट मिलना चाहिए।
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शंभू दयाल कहते हैं उनके पक्ष में पूरी दलित बिरादरी इकट्ठा हो जाएगी, इसलिये एक बार चौधरी समाज के नेता को भी आजमाना चाहिए। करीब 6 माह पूर्व से इस जिले में सभी तहसीलों में कानपुर देहात से विधायक रही और पूर्व मंत्री अरुणा कोरी का भी नाम इस टिकट के दावेदारों में जुड़ गया है। चूंकि भाजपा और संघ का शीर्ष नेतृत्व संसद और विधानसभाओं मे महिलाओं को 33 प्रतिशत भागीदारी देने के लिए कानून भी बनाने वाला है। इसलिए अरुणा कोरी की भी दावेदारी को हल्के मे नहीं लिया जा सकता है। इसमें जो 6वां नाम जुड़ा है वह चौंकाने वाला है। देश के राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद जो कानपुर देहात के ग्राम परोख के निवासी हैं और उनका अभी भी उस गांव और उस जनपद से गहरा रिश्ता बना हुआ है। उनके पुत्र प्रशांत कोविंद जो सेना के एक अधिकारी रहे हैं, उनका भी नाम अचानक तेजी से उभर रहा है। इसलिए किसी भी टिकट के दावेदार को प्रशांत कोविंद को हल्के में लेना बहुत घाटे का सौदा हो सकता है।उधर भाजपा के दो नेता ऐसे हैं जो भाजपा में टिकट के दावेदार हैं स लेकिन अपना दल सुप्रीमो अनुप्रिया पटेल की उत्तर प्रदेश में एनडीए की सदस्य के नाते भाजपा शीर्ष नेतृत्व से जो वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले 13 सीटों की मांग रखने जा रही है उसके चलते भाजपा के दो कद्दावर नेता अपना दल की सुप्रीमो अनुप्रिया पटेल को भी साधने में जुड़ गए हैं स अगर अनुप्रिया पटेल जालौन सी ट को अपना दल को अपना दल मे लेने मे सफल होजाती है सतो भाजपा टिकट के ये दो दावेदार भाजपा छोडकर अपना दल मे चले जायेगे, और ऐन केन प़कारेण यह सीट अपना दल सुप्रीमो अनुप्रिया पटेल से पाने की जुगत लगाएंगे। इसीलिए अभी से उन्होंने अनुप्रिया पटेल को साधने की कोशिश शुरुकर दी है ।
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अब देखना यह है की राम मंदिर की भव्य स्थापना और कश्मीर के धारा 307 और 35(ए) के हटाने के प्रभाव का चुनाव मे इस्तेमाल करते हुए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ जो इसे लोकसभा चुनाव मे सुनामी की तरह बनाना चाहता है। उसमें बीजेपी और संघ का शीर्ष नेतृत्व इस सीट के लिए किस प्रत्याशी पर दांव लगाता है।
अनिल शर्मा