डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल की एक और पहल, गाय के गोबर से तैयार होगा प्राकृतिक पेंट

जनपद में अन्ना गोवंशों को संरक्षित रखने के लिए तीन सौ से अधिक गौशाला बनाए गए हैं। लेकिन  इन गौशालाओं में संरक्षित गोवंशों के भरण पोषण ...

डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल की एक और पहल, गाय के गोबर से तैयार होगा प्राकृतिक पेंट

बांदा,

जनपद में अन्ना गोवंशों को संरक्षित रखने के लिए तीन सौ से अधिक गौशाला बनाए गए हैं। लेकिन  इन गौशालाओं में संरक्षित गोवंशों के भरण पोषण के लिए पर्याप्त बजट न होने पर जन भागीदारी से गोवंशों को चारा भूसा उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ जिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल गौशालाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मुहिम चला रही हैं। इसी मुहिम के तहत अब गौशाला से निकलने वाली गोबर के माध्यम से प्राकृतिक पेंट बनाने की पहल की है। इसके लिए गौशाला संचालकों, प्रधानों, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा अधिकारियों के समक्ष जागरूकता अभियान चलाया गया। इनमें तीन स्वयंसेवी संस्थाओं ने प्राकृतिक पेंट बनाने का निर्णय लिया है ।

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बुधवार को एक बैठक में गोवंश के गोबर से तैयार किए जाने वाले प्राकृतिक पेंट प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई और बताया गया कि इस प्रोजेक्ट की लागत 25 लाख है। इस पर जिले की तीन स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा गोबर से पेंट बनाने की सहमति व्यक्त की गई। जिन्हें प्रशासन ने आवश्यक सहायता प्रदान किए जाने का आश्वासन दिया। इसके पहले भी जिला अधिकारी ने गौशालाओं की गोचर भूमि पर घास उगाकर गोवंशों को हरा चारा मुहैया कराने की पहल की है। साथ ही दुर्घटना के शिकार हो रहे गोवंशों को बचाने के लिए जिले के 63 स्थानों को चिन्हित किया गया। इनमें कई गांव में रेल ट्रैक भी शामिल हैं। इन स्थानों से गोवंशों को सुरक्षित गौशाला में पहुंचा जा रहा है ताकि यह किसी दुर्घटना का शिकार न हो।इसी कड़ी में अब गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की मुहिम तेज कर दी गई है।

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इस तरह तैयार होगा पेंट

सबसे पहले गाय के गोबर से कंकड़, घास निकाल कर हैं और उसका वजन किया जाता हैं। फिर साफ किए गए गोबर को एक भंडारण टैंक में डाला जाता हैं जिसमें पानी होता है। मोटर चलित भंडारण टैंक गाय के गोबर और पानी को 40 मिनट तक मथता है। इससे पहले उस मिश्रण को दूसरे सेक्शन में ले जाया जाता है। जहाँ इसे एक समान पेस्ट जैसे तरल में बदल दिया जाता है। तरल को 100 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर आधे घंटे तक गर्म किया जाता है, जिसके बाद इसे ब्लीच किया जाता है। इसके बाद मिश्रण में रंग मिलाया जाता है, और काफी हद तक प्राकृतिक पेंट बाज़ार के लिए तैयार होता है। यह पेंट प्राकृतिक पेंट के ब्रांड नाम से बेचा जाता है।

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इस बारे में जिला अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का कहना है कि गौवंशों को सुव्यवस्थित रूप से संरक्षित करने के साथ आय के साधानों को भी बढाना जरूरी है। गाय के गोबर से पेन्ट के अलावा गौवंश के गोबर से बर्मी कम्पोस्ट बनाये जाने तथा गोबर के लट्ठे तथा गोबर के दीपक एवं जीवामृत भी बनाये जाने का प्रजेन्टेशन किया गया और स्वयं सहायता समूहों तथा गौशाला संचालकों को इन कार्यों को करने करने के लिए प्रेरित किया गया। इसी तरह गौवंशों को हरा चारा उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में प्रत्येक गौशाला तथा खाली पडी गोचर की भूमि में नेपियर घास को लगाये जाने के सम्बन्ध में ब्लाक स्तर पर ग्राम प्रधानों एवं सचिवों की बैठक कर शीघ्र कार्यवाही किये जाने के लिए खण्ड विकास अधिकारियों को जिम्मेदारी सौपी गई है। 

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