इस कोरोना काल में मुफ्त बायोडिग्रेडेबल सैनेटरी पैड बांट रही है अदिति
जब कोविड की दूसरी लहर ने पैर फैलाया तब भोजन, उपचार, इलाज के लिए लोगों के हाथ तो बढ़े ही, इसी के साथ एक हाथ ऐसा भी बढ़ा..
- स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण के लिए लाभकारी बायोडिग्रेडेबल सैनेटरी पैड
जब कोविड की दूसरी लहर ने पैर फैलाया तब भोजन, उपचार, इलाज के लिए लोगों के हाथ तो बढ़े ही, इसी के साथ एक हाथ ऐसा भी बढ़ा जिसने महिलाओं में होने वाली एक आम प्रक्रिया के स्वच्छता पूर्ण प्रबंधन का कार्य किया। यह कार्य करने वाली है जनपद की निवासी अदिति राकेश। इनके द्वारा झांसी और ललितपुर में वो महिलाएं जो पैड नहीं खरीद सकती जैसे कि रोड साइड रहने वाली या किसी कन्स्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाली को लगभग 10 हजार पैड बांटे गये।
पिछले दो साल से ही अदिति किशोरियों और महिलाओं को माहवारी स्वच्छता और उसके वेस्ट मैनेजमेट के लिए जागरूक करने का कार्य कर रही हैं और दो साल पहले उन्होने कोन्फीडेयर नाम की कंपनी की शुरुआत की, जो बायोडिग्रेडेबल सैनेटरी पैड बनाती भी है। जो स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण के लिए भी सहायक है। न सिर्फ इस साल बल्कि पिछले साल भी कोविड के समय अदिति की टीम ने ऐसे जगहों पर जाकर पैड मुहैया कराये, जहां बच्चियों के पास पैड उपलब्ध नहीं थे।
यह भी पढ़ें - उप्र में फ्री टीकाकरण महाअभियान, जिले में कम से कम 01 हजार लोगों का होगा टीकाकरण
अदिति बताती है कि पिछली साल हमने घर घर जाकर पैड बांटे थे, लेकिन कई जगह हमने यह देखा कि लोग पैड तो खरीद सकते है बस खरीदना नहीं चाहते, इसीलिए इस वर्ष हमने ऐसी जगहों को चयनित किया जहां वाकई महिलाएं और बच्चियां पैड खरीदने की हालत में नहीं है।
अदिति न सिर्फ मुफ्त पैड बांटना बल्कि असहाय लोगों को पैड के वितरण जैसे कार्यों के लिए रोजगार देने का भी कार्य करती है, जो घरों में काम करने वाली महिलाओं का कोविड के चलते काम छूट गया है, अदिति ने उन्हें रोजगार भी दिया है।
यह भी पढ़ें - उत्तर प्रदेश संयुक्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी प्रवेश परीक्षा-2021 की तिथि बढ़ी
- जरूरत के लिए यहां कर सकते है संपर्क
यदि किसी जरूरतमन्द महिला को पैड की या रोजगार की जरूरत है तो वह इस नंबर 6307288063 पर संपर्क कर सकती हैं।
यह भी पढ़ें - राहत भरी खबर : बुंदेलखंड में शून्य की ओर बढ़ रहा है कोरोना संक्रमण
- माहवारी का प्रबंधन व निपटान
माहवारी में सूती कपड़े के पैड का उपयोग सबसे अच्छा रहता है। अगर कपड़े का पैड नहीं है तो सूती मुलायम कपड़े को पैड की तरह मोड़कर उपयोग करना चाहिए। हर तीन से चार घंटे में पैड बदलना चाहिए। पैड बदलने के समय जननांग को पानी से धोकर सुखा ले। उपयोग किये हुए पैड को साबुन व ठंडे पानी से धोना चाहिए व् तेज धूप में सुखाना चाहिए।
ऐसा करने से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। सूख जाने के बाद पैड को एक साफ धुली कपड़े की थैली में मोड़कर रखें। माहवारी में उपयोग किये गए पैड या कपड़े को खुले में नहीं फेंकना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से उठाने वाले व्यक्ति में संक्रमण का खतरा हो सकता है। हमेशा पैड को पेपर या पुराने अखबार में लपेटकर फेंकना चाहिये या पैड को जमीन में गड्ढा खोदकर गाड़ भी सकते है।
यह भी पढ़ें - नशे में धुत बेटे ने पहले पिता को मारी गोली, फिर खुद का काटा हाथ
- हर साल 28 मई को मनाया जाता है मासिक धर्म स्वच्छता दिवस
इस दिवस को मनाने कि शुरुआत साल 2013 में वाश, जल स्वच्छता एवं स्वास्थ्य रक्षा संस्था द्वारा की गई थी, पहली बार इसको साल 2014 में मनाया गया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य एक ऐसे विश्व का निर्माण करना है जहां किसी भी समय महिला अपनी निजता, सुरक्षा एवं गरिमा के साथ, अपने मासिक धर्म को स्वास्थ्य तरीके से प्रबंधित कर सकती है। इस वर्ष की थीम श्मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता में कार्रवाई और निवेश बढ़ाने की जरूरत’ है।
यह भी पढ़ें - यूपी के अलीगढ़ में शराब पीने से 08 लोगों की मौत, मुख्यमंत्री योगी ने लिया संज्ञान कहा एनएसए के तहत
हि.स