संगीत जीवन की अनुपम उपलब्धि : जगद्गुरु

जगदगुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के तत्वावधान में आयोजित संत महाकवि तुलसीदास की रचनाओं पर आधारित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का गुरुवार को समापन हुआ। 

संगीत जीवन की अनुपम उपलब्धि : जगद्गुरु
Jagadguru-Webinar

मुख्य अतिथि आजीवन कुलाधिपति जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि संगीत जीवन की अनुपम उपलब्धि हैं। संत तुलसीदास ने मानस को गाया है। कहा था कि अगर इस संसार सागर को पार करना है तो भगवान श्रीराम के गुणगान को गाना पडेगा। संगीत संसार सागर में तरण के लिए ऐसा अनुपम उदाहरण हैं जो इस कराल कलिकाल मे भी नष्ट नहीं होता है।

प्लवने जहाज, जलयान, जलपोत दिया। तुलसीदास ने अपने जीवन में संगीत से संसार को नहीं रिझाया। एकमात्र भगवान श्रीराम को सुनाया। हनुमानजी भगवान के पूर्ण भक्त थे। हमेशा साथ रहते थे। इसके लिए फिर कहुगा कि अब बंदिश को छोडकर वंदना को अपनाना होगा। जिससे इस संसार का कल्याण हो सकेगा।

तृतीय व चतुर्थ सत्र में आंमत्रित अतिथियों मे डा विजयश्री शर्मा अमेरिका, पंडित अभय माणके इंदौर, प्रो निशा झा भागलपुर बिहार, डा संतोष कुमार सिकिम, डा अरविंद कुमार पटना, एस पटेल टोरंटो कनाडा, प्रो के शशि कुमार वाराणसी आदि ने अपने विचार रखें। अतिथियों का परिचय वेबीनार संयोजक डॉ ज्योति विश्वकर्मा ने कराया।

आयोजन के कोआर्डिनेटर डा गोपाल कुमार मिश्र ने विशेष सहयोग के लिए डा राम शंकर सिंह संगीत विभाग बीएचयू व संचालन  डा गोपाल मिश्रा, डा श्वेता कुमारी, डा रूचि मिश्रा, आदित्य तिवारी, प्रतीक्षा मिश्रा, डा मनीष कुमार, पीआरओ एसपी मिश्रा के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कुलसचिव डा महेंद्र कुमार उपाध्याय, डा विनोद कुमार मिश्रा, निहार रंजन मिश्रा, डा रजनीश सिंह आदि मौजूद रहे।

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