झांसी में 70 गांव के 740 किसान कठिया वीट बंगरा प्रोड्यूसर कम्पनी से जुड़े

कभी कठिया गेहूं के लिए बुन्देलखण्ड एक उपयुक्त स्थान माना जाता था। अब एक बार फिर विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे...

झांसी में 70 गांव के 740 किसान कठिया वीट बंगरा प्रोड्यूसर कम्पनी से जुड़े
सांकेतिक फ़ोटो - सोशल मीडिया

योगी सरकार और नाबार्ड के सहयोग से कठिया गेहूं के उत्पादकों को मिलेगा प्रोत्साहन

झांसी के एफपीओ को मिला है कठिया गेहूं का जीआई टैग, 150 किसान कठिया के उत्पादन की तैयारी में

झांसी। कभी कठिया गेहूं के लिए बुन्देलखण्ड एक उपयुक्त स्थान माना जाता था। अब एक बार फिर विलुप्त होने की कगार पर पहुंचे कठिया गेंहू को बचाने के लिए योगी सरकार और नाबार्ड आगे आया है। दोनों के सहयोग से झांसी के एफपीओ को जीआई टैग मिलने के बाद अब किसानों को प्रोत्साहित करने और इन्हें एफपीओ से जोड़ने का काम किया जा रहा है। इसका मुख्य केंद्र बंगरा को बनाया गया है। कठिया वीट बंगरा प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड के साथ इस समय झांसी के बंगरा ब्लॉक के लगभग 70 गांव के 740 से अधिक किसान जुड़ चुके हैं। इनकी संख्या बढ़ाकर 1000 तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान समय में एफपीओ से जुड़े 150 से अधिक किसान कठिया गेहूं का उत्पादन करने की तैयारी में हैं। इन्हें एफपीओ की ओर से उन्नत किस्म का बीज उपलब्ध कराया जाएगा।

झांसी का एफपीओ इस समय उत्तर प्रदेश के झांसी, बांदा, हमीरपुर और ललितपुर के किसानों से कठिया गेहूं की खरीद कर रहा है। यह एफपीओ मध्य प्रदेश के छतरपुर और टीकमगढ़ के किसानों से भी कठिया गेहूं की खरीद कर रहा है। नाबार्ड और उत्तर प्रदेश सरकार की मदद से कठिया गेहूं से दलिया बनाने की यूनिट स्थापित की है और महीने में लगभग छह क्विंटल दलिया तैयार किया जा रहा है। जीआई उत्पादों की मार्केटिंग करने वाले कोलकाता की प्रतिष्ठित कम्पनी से अभी पिछले दिनों एफपीओ का करार हुआ है।

कठिया वीट बंगरा प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड के अध्यक्ष सियाराम कुशवाहा ने बताया कि फिलहाल उनका एफपीओ किसानों को जोड़ने के काम में लगा है और इसकी सदस्य संख्या 1000 तक ले जाने का लक्ष्य है। कठिया गेंहू के उत्पादक किसानों को बाजार से अधिक मूल्य दिया जा रहा है। कठिया उगाने वाले किसानों को बेहतर गुणवत्ता का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। नाबार्ड और उत्तर प्रदेश सरकार इस काम में एफपीओ की मदद कर रहे हैं। झांसी में बंगरा के अलावा गुरसराय, टहरौली समेत कई हिस्सों के किसान इस खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं और इनकी संख्या भी बढ़ रही है।

हिन्दुस्थान समाचार

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