‘बुंदेलखंड विश्वकोश के 40 वॉल्यूम होंगे प्रकाशित, जो नई पीढ़ी को शिक्षा की दृष्टि से होंगे उपयोगी’

इसे तैयार करने में गांव से लेकर नगरों तक सबके सहयोग की आवश्यकताः डॉ. सरोज गुप्ता मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के..

Dec 13, 2021 - 02:41
Dec 13, 2021 - 02:46
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‘बुंदेलखंड विश्वकोश के 40 वॉल्यूम होंगे प्रकाशित, जो नई पीढ़ी को शिक्षा की दृष्टि से  होंगे उपयोगी’

इसे तैयार करने में गांव से लेकर नगरों तक सबके सहयोग की आवश्यकताः डॉ. सरोज गुप्ता मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के समस्त जिलों को मिलाकर बुंदेलखंड के साहित्य ,संस्कृति, कला, पर्यटन, पुरातत्त्व, इतिहास संकलन ,खेलकूद ,वनस्पति, आयुर्वेद, बुंदेली व्यंजन इत्यादि विषयों पर राष्ट्रीय स्तर का बुंदेलखंड विश्वकोश तैयार किया जा रहा है इसमें बुंदेलखंड के गांवों से लेकर नगरों तक सबके सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में विश्वकोश के 40 वॉल्यूम प्रकाशित होंगे जो आगामी पीढ़ी के लिए शिक्षा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी होंगे।

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यह बात मुख्य अतिथि डॉ. सरोज गुप्ता ने बुंदेलखंड विश्वकोश समिति एवं राजकीय संग्रहालय की संयुक्त तत्वाधान में  बुन्देलखण्ड विश्व कोश योजना समिति की राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कही। आयोजन राजकीय संग्रहालय में संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डॉ सरोज गुप्ता के मुख्य आतिथ्य, सचिन चतुर्वेदी एवं प्रो ब्रजेश श्रीवास्तव के विशिष्ट आतिथ्य तथा क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. एस के दुबे के की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।  अतिथियों ने सर्वप्रथम मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। 

विशिष्ट अतिथि बृजेश श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड के इतिहासकारों के व्यक्तित्व प्रकाश डालते हुए कहा कि बुंदेलखंड विश्वकोश इतिहास संकलन का अभूतपूर्व कार्य करेगा जिससे सभी को लाभ होगा । सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि बुंदेलखंड विश्वकोश एक ऐसा सार्थक प्रयास सिद्ध होगा जिससे कि बुंदेलखंड की संस्कृति एवं संस्कारों की जानकारी संस्था के विभिन्न समितियों के माध्यम से दी जा सकेगी।

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संयोजक प्रदीप कुमार तिवारी ने वर्तमान समय में बुंदेलखंड विश्वकोश के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आने वाले समय में बुंदेलखंड विश्वकोश के माध्यम से प्रकाशित होने वाला हर ग्रंथ, हर पुस्तक एवं हर लेख विद्यार्थियों के लिए तथा शोधार्थियों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। वरिष्ठ इतिहासकार राम प्रकाश गुप्ता ने बुंदेलखंड पर प्रकाशित ग्रंथों , लेखों एवं पुस्तकों के महत्व पर प्रकाश डाला वरिष्ठ पत्रकार मोहन नेपाली ने आजादी के समय प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों एवं बुंदेली भाषा को प्रोत्साहित करने के वाले पूर्व राजा महाराजाओं का स्मरण किया। 

उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को इस तरह के इतिहास से रूबरू कराने की आवश्यकता है। झालावाड़ से आए डॉ प्रणव देव ने कहा कि बुंदेलखंड की उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार की बहुत आवश्यकता है इसके लिए बुंदेलखंड विश्वकोश की भूमिका का महत्व बहुत बढ़ जाएगा। दिनेश भार्गव ने बुंदेली वीरों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जिस तरह से बुंदेलखंड विश्वकोश का निर्माण हुआ है इसी समर्पण के साथ बुंदेलखंड राज्य का निर्माण होना चाहिए तभी बुंदेलखंड से भुखमरी एवं गरीबी से मुक्ति मिल सकेगी ।

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विनोद मिश्र ने कविताओं के माध्यम से बुंदेली शैली पर प्रकाश डाला, प्रगति शर्मा बयां ने रानी लक्ष्मीबाई पर आधारित कविता पाठ किया, शालिनी गुरबक्सानी ने कहा कि बुंदेलखंड में बुंदेली भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए जिससे बुंदेली भाषा को उचित सम्मान मिल सकेगा। रजनी गुप्ता ने कहा कि बुंदेलखंड विश्वकोश समय की मांग है उन्होंने कहा कि विश्व कोष की स्थापना के बाद शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा। रवि भूषण खरे ने बुंदेलखंड विश्वकोश के महत्व के बारे में बताया एवं यहां के नौनिहालों की योग्यता को बुंदेली भाषा में गीत प्रस्तुत किया।

डॉ. कृष्णा राव ने कहा कि बुंदेलखंड के ऐतिहासिक महत्व को समझ कर बुंदेलखंड विश्वकोश की स्थापना की जा रही है जोकि आने वाली पीढ़ी के लिए लाभदायक सिद्ध होगा । अर्चना द्विवेदी ने बुंदेली भाषा में प्रस्तुति देकर बुंदेली भाषा के महत्व को बताया उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी को बुंदेली भाषा में बात करनी चाहिए एवं यहां के स्थानीय चौनलों को भी बुंदेली भाषा में कार्यक्रमों का प्रसारण करना चाहिए।

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पंकज तिवारी ने कहा कि ज्ञान के सागर , शौर्य एवं साहस के सागर शहर से बुंदेलखंड विश्वकोश का अभ्युदय हुआ है यह बहुत ही गर्व और गौरव की बात है । महेश पटेरिया ने कहा कि बुंदेलखंड के साहित्यकारों एवं इतिहासकारों को आमंत्रित करके बुंदेलखंड विश्वकोश का महत्व बताया जाए एवं उन्होंने बुंदेली धरती को देवताओं की भूमि बताते हुए कहा कि बुंदेली धरती पर जन्म लेना हमारे लिए गर्व की बात है।

इंदिरा चतुर्वेदी ने कहा कि बुंदेली संस्कारों एवं संस्कृति को नई पीढ़ी को सिखाना होगा उन्होंने आल्हा उदल पर आधारित काव्य पाठ किया। दीपशिखा शर्मा ने बुंदेली भाषा के लिए नुक्कड़ नाटक आदि के माध्यम से प्रचारित प्रसारित करने का आह्वान किया। अंत में संचालन कर रही पार्थ फाऊंडेशन की अध्यक्ष रंजना सिंह बुंदेला ने नारी सशक्तिकरण पर एवं वीरांगनाओं पर आधारित स्वलिखित कविता का पाठ किया। अंत में संगोष्ठी के संयोजक प्रदीप कुमार तिवारी ने बुंदेलखंड विश्वकोश के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

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