हमीरपुर में राजा बलि के शासनकाल में बना था त्रिसरा शिवमंदिर
कुरारा विकास खंड क्षेत्र के मिश्रीपुर गांव स्थित त्रिसरा देव स्थान भगवान शिव मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को...
हमीरपुर,
मंदिर में स्थापित है पाताली शिव लिंग, श्रद्धालुओं ने देर शाम तक किया जलाभिषेक
कुरारा विकास खंड क्षेत्र के मिश्रीपुर गांव स्थित त्रिसरा देव स्थान भगवान शिव मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों ने बेल पत्र आदि से पूजा अर्चना की। इस मौके पर भक्तों की भीड़ सुबह से लगी रही। प्राचीन शिव मंदिर में लोगों की असीम श्रद्धा और आस्था है।
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मिश्रीपुर गांव से एक किमी निर्जन स्थान पर त्रिसरा देव नामक स्थान पर प्राचीन पाताली शिव मंदिर स्थापित है। उत्तर वाहिनी यमुना नदी किनारे स्थित इस मंदिर में लोगों को अपार आस्था है। वर्ष भर लोगों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। ग्रामीणों द्वारा वर्ष में एक बार यज्ञ का आयोजन किया जाता है। सावन माह में भक्तों द्वारा सोमवार को रुद्राभिषेक किया जाता है। आज सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों ने मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की। आसपास के गांवों के भक्त गण ने मंदिर में पूजा अर्चना की।
प्राचीन मंदिर के संबंध में मंदिर के पुजारी गिरजा दास त्यागी ने बताया कि मूसानगर में राजा बलि की राजधानी थी। उसने सौ यज्ञ करने का निर्णय लिया था। जिसमें 99 यज्ञ पूरे होने के बाद 100वें यज्ञ के लिए राजा बलि ने महाज्ञानी रावण को यज्ञ सम्पन्न कराने के लिए आमंत्रित किया था। तब रावण ने अपने बंशज त्रिसरा को यज्ञ सम्पन्न कराने के लिए भेज दिया था। उसके रुकने के लिए राजा बलि ने मिश्रीपुर के पास जंगल में स्थान दिया था।
बताते हैं कि रावण संहिता के अनुसार रावण के वंशज जहां भी जाते थे, वहां स्वयं शिव लिंग स्थापित कर पूजा अर्चना करते थे। इस स्थान पर अर्द्ध नारीश्वेर के रूप में शिव जी व पार्वती की प्रतिमा प्रकट हुई थी।
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दर्शन देकर त्रिसरा ने उनको प्रसन्न करने के लिए महिषासुर का सिर काट कर स्थापित किया था। ऐसे में महिषा सुर के गले में पड़ी माला की गिनती नहीं हो पाती है। इस स्थान को राजा बलि के शासन काल के समय का स्थान माना जा रहा है। वही इस क्षेत्र में राजा बलि के समय का वामन भगवान का मंदिर भी है। बरुवा व बिलौटा गांव भी राजा बलि के समय के है। राजा बलि के किले के अवशेष आज भी मूसानगर में मौजूद हैं।
हिस