मजदूर की पत्नी के हौसलें को सलाम, सब्जी की खेती से बदल डाली तकदीर
शादी के बाद ये अपनी ससुराल खरौंज गांव पहुंची थी तब घर में दो वक्त की रोटी के लाले ही पड़े थे...
घर का खर्च चलाने के लिए पति के साथ चलाए फावड़े
हमीरपुर। हमीरपुर जिले में एक मजदूर की पत्नी ने खेती कर अपनी तकदीर ही बदल डाली। इसने ससुराल में आर्थिक बदहाली को देख घूंघट हटाकर पहले ही पति के साथ फावड़े चलाए फिर फालतू जमीन पर सब्जी की खेती शुरू कर यह आज महिलाओं के लिए रोल ऑफ मॉडल बन गई है।
यह भी पढ़े : मातृभूमि अर्पण योजना में सहयोग राशि देने के 30 दिन के अंदर मिलेगी विकास कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति
हमीरपुर जिले के कुरारा क्षेत्र के खरौंज गांव में आर्थिक तंगी की मार झेलने वाली रानी का शुरुआती जीवन बड़ा ही संघर्ष के दौर से गुजरा है। इसका मायका कुरारा है। शादी के बाद ये अपनी ससुराल खरौंज गांव पहुंची थी तब घर में दो वक्त की रोटी के लाले ही पड़े थे। गरीबी की मार से पूरा परिवार त्रस्त देख रानी ने बड़ा फैसला लिया और घूंघट हटाकर उसने अपने पति शिव लाल के साथ मजदूरी करने लगी। इसने पति के साथ फावड़े चलाए।
शिवलाल ने बताया कि कुछ ही बीघा जमीन बीहड़ में है। जमीन भी ऊबड़ खाबड़ थी जिसमें कोई भी फसलें नहीं होती थी। बताया कि घर की माली हालत खराब होने पर फावड़े चलाना पड़ा। शादी हुई तो पत्नी को भी वह सुख सुविधाएं नसीब नहीं हो सकी। इसीलिए पत्नी ने घूंघट हटाकर सवित्री की तरह उसका साथ दिया। इसने वैज्ञानिकों की सलाह पर ऊबड़ खाबड़ जमीन पर कद्दू और अन्य सब्जियों की खेती शुरू की जिससे आज पूरे परिवार का जीवन बदल गया है।
यह भी पढ़े : जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को सात साल की सजा
घर का खर्च चलाने के लिए पति के साथ चलाए फावड़े
गरीब महिलाओं के लिए प्रेरणा श्रोत बनी रानी ने बताया कि घर में आर्थिक तंगी देख मन को बड़ा दुख हुआ। पति के साथ फावड़े चलाए गए। कुछ ही समय में मजदूरी करने से जिंदगी में कुछ खुशियां नसीब हुई। बताया कि वक्त गुजरने के साथ घर की माली हालत सुधारने के लिए बीहड़ में कुछ बीघा जमीन पर खेतीबाड़ी शुरू की गई। सीताफल (कद्दू) समेत अन्य सबिज्यों की पैदावार जैविक पद्धति से करने पर आज घर की दशा ही बदल गई है। रानी एक पुत्र और एक पुत्री की मां है।
यह भी पढ़े : पूर्व उपभोक्ता फोरम जज बोले- समाज में महिलाओं को विशेष दर्जा मिलना चाहियें
बीहड़ में फालतू जमीन में लहलहाई उम्मीदों की फसल
रानी ने बताया कि बीहड़ में कुछ जमीन है जो ऊबड़ खाबर थी। इसे समतल कराकर समर्थ फाउन्डेंशन के सचिव देवेन्द्र गांधी से मदद मांगी। संस्था ने कृषि वैज्ञानिकों से जमीन का निरीक्षण कराया और उनकी सलाह पर मचन विधि से सब्जी की फसल बोई गई। इस महिला ने बांस, तार और बीज आदि की व्यवस्था होते ही मचान विधि से सब्जी की खेती शुरू की तो इसे पहली मर्तबा में ही मोटा मुनाफा हुआ। अब ये एक साथ तीन-तीन फसलों की बोआई कर अपना जीवन ही बदल डाला है।
यह भी पढ़े : बारात में शामिल होने जा रहें इन तीन दोस्तों की, एक साथ सडक हादसे में दर्दनाक मौत
जैविक खेती से मजदूर के परिवार का संवर गया जीवन
समर्थ फाउन्डेंशन के सचिव देवेन्द्र गांधी ने बताया कि शादी के बाद ससुराल पहुंची रानी ने पहले दूसरों के घरों में मजदूरी की फिर फावड़े दिाहड़ी में फावड़े चलाए। वैज्ञानिकों की सलाह में फालतू जमीन पर सब्जी की खेती कर ये कुछ ही साल में बड़ी पूंजी बना ली है। अब तो इसके पति ने मजदूरी करना छोड़ दिया है। बिना सरकारी मदद के ही अपना पक्का घर भी बनवा लिया है। कृषि वैज्ञानिक डा.एसपी सोनकर ने बताया कि मचान विधि से खेती करने से महिला की तकदीर बदली है।
हिन्दुस्थान समाचार