हनुमान जयंती पर मंदिरो में हुए धार्मिक आयोजन

तुलसी जन्मस्थली में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जयंती के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है...

हनुमान जयंती पर मंदिरो में हुए धार्मिक आयोजन

राजापुर (चित्रकूट)। तुलसी जन्मस्थली में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जयंती के रूप में मनाने की परंपरा चली आ रही है। जबकि श्री संकट मोचन का जन्म नरक चतुर्दशी को विजय अभिनंदन उत्सव के रूप में मनाया जाता है। दोनों महीनों में संकट मोचन हनुमान के मंदिरों में रामचरितमानस अखण्ड पाठ, हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहु आदि के पाठ के साथ ही हनुमान जी की प्रतिमाओं की पूजा, आरती की गई।

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राजापुर कस्बे के सन्त तुलसी सेवा आश्रम के संचालक आचार्य पं. रामनरेश द्विवेदी ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन ही संकटमोचन बजरंगबली का जन्मोत्सव धूमधाम से कई वर्षों से मनाते चले आ रहे हैं। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को आज के दिन जो भक्त संकटमोचन केसरी नन्दन की पूजा अर्चना करते हैं उनकी संकट कटते हैं। उन्होंने बताया कि गौतम ऋषि की पुत्री अंजना श्रापवश एक पर्वत की गुफा में रहकर मारुति नामक बालक को जन्म दिया था और बाल्यकाल में ही मारुति, चंचल एवं बलशाली थे। उन्होंने बचपन में ही भास्कर भगवान का ग्रास करके पूरी सृष्टि में अंधकार पैदा कर दिया था। तभी सम्पूर्ण देवताओं ने आकर मारूति नन्दन की आराधना कर सूर्य भगवान को मुक्त कराते हुए शक्तियाँ प्रदान की थीं। एक ऋषि ने बल का ज्ञान भूल जाने का श्राप दिया था। इसी कारण समुद्र लंांघने के समय जामवंत जी के द्वारा बल पौरुष एवं शक्तियों का ज्ञान कराया गया। तभी संकट मोचन बनकर अपने स्वामी राम के बिना विलम्ब के सम्पूर्ण कार्य किया।

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पुजारी सूर्यप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि साल की पहली हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और दूसरी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। हनुमान जयंती मनाने के बारे में बात की जाए तो एक तिथि को विजय अभिनंदन के रूप में मनाया जाता है। जबकि दूसरी तिथि को जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन हनुमान मंदिरों में अखण्ड रामचरितमानस का पाठ, हनुमान चालीसा, हनुमान बाण, हनुमानाष्टक तथा सुन्दरकाण्ड का आयोजन किए गए। सिद्ध बालाजी मंदिर खोहरा बाबा में जय नारायण द्विवेदी व जनपद कौशांबी के शंकर दयाल शुक्ला ने पूजा अर्चना के साथ राम नाम संकीर्तन कराया।

इस अवसर पर बालकरण द्विवेदी, विनयहिंद पांडेय, रज्जन त्रिपाठी, हुबलाल तिवारी, काशीनाथ तिवारी, अशोक कुमार मौर्य, पूजा देवी, किरण देवी, मनीषा देवी, मनु द्विवेदी आदि मौजूद रहे।

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