उपेक्षा की शिकार हो रही चित्रकूट की अनमोल धरोहर

कोठी तालाब व गणेश बाग जिसे चित्रकूट के मिनी खजुराहो के नाम से जाना जाता है। जिसका इतिहास समूचे चित्रकूट को समृद्धशाली बनाता है। सरंक्षित होने के बाद जब ऐतिहासिक स्थलों के ये हालात हैं तो सोंचिये जरा उन स्थलों का क्या होगा जो अभी सरंक्षण से कोसो दूर हैं ?

Jul 4, 2020 - 20:16
 0  6

इतिहासकारो के अनुसार ये ऐतिहासिक स्थल मराठाकालीन है। जल सरंक्षण के माॅडल को दर्शाता एक जीवंत स्थल। इतिहासकारो की मानें तो इस स्थल में गुप्त सुरंगे भी हैं जो चित्रकूट के बाहर निकलती हैं और कुछ रास्ते गणेश बाग और चित्रकूट के कई अंदर स्थानों तक जाते हैं। फिलहाल इतना महत्वपूर्ण स्थान आज बदहाली की कगार पर है। सरंक्षण के बाद भी इसके दिन नही बहुरे जो ज्यादा निराश करता है।

बताते चले कि वर्ष 2007 में तत्कालीन जिलाधिकारी सुभाष चन्द्र शर्मा ने महाशिवरात्रि के पावन दिन पर पूजन अर्चन कर मनरेगा के तहत तालाब का खुदाई कार्य सुरु करवाया था जिसमे सैकड़ो ट्रैक्टर मलबा निकला। ततपश्चात सौंदर्यीकरण कार्य सुरु होने की जानकारी पुरातत्व विभाग को हुयी तो उन्होंने कार्य रुकवा दिया तब से लेकर आज तक कोई कार्य नही हुआ यह अनमोल धरोहरें आज भी उपेक्षा का शिकार है।

वही स्थानीय लोगो की आशंका है कि मंदिर के नीचे खजाना होने के चलते कार्य रुकवा दिया गया है।

वही यहां नाले से गिरने वाले गंदा पानी पड़ा कूड़ा-करकट और तालाब की गंदगी बताती है कि समाज की नैतिकता के स्तर का भी ह्रास हो रहा है। अब प्रश्न ये है कि क्या हर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने और सरंक्षण की जिम्मेदारी सरकार की है या हमारी

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0