ग्रामीण पत्रकारिता के स्तंभ पंडित श्रवण कुमार द्विवेदी का निधन
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल से एक अत्यंत दुखद समाचार सामने आया है। उरई (जालौन) निवासी...

शिक्षा और पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति
जालौन/बुंदेलखंड। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल से एक अत्यंत दुखद समाचार सामने आया है। उरई (जालौन) निवासी, वरिष्ठ शिक्षाविद और ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के संस्थापक पंडित श्रवण कुमार द्विवेदी का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनका जाना पत्रकारिता और शिक्षा जगत के लिए एक गहरी रिक्तता छोड़ गया है, जिसकी भरपाई कठिन है।
ग्रामीण पत्रकारिता को दी नई पहचान
पंडित द्विवेदी ग्रामीण पत्रकारिता के ऐसे पुरोधा रहे, जिन्होंने पत्रकारिता को केवल शहरी दायरों तक सीमित न रखकर गांव-देहात की आवाज़ बनने का कार्य किया। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की स्थापना कर उन्होंने सैकड़ों ग्रामीण पत्रकारों को एकजुट किया, जिन्हें वे सच्चाई के सिपाही कहा करते थे। उनका मानना था कि “गांव तभी बोलेगा, जब गांव से पत्रकार उठेंगे।”
शिक्षा के क्षेत्र में रहा अद्वितीय योगदान
एक शिक्षाविद के रूप में भी उनका योगदान अत्यंत सराहनीय रहा। उन्होंने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम माना और विशेषकर ग्रामीण बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सतत प्रयास किए। उनका विश्वास था कि “शिक्षा ही समाज को सशक्त बना सकती है।”
सादगी और विचारों के प्रतीक
पंडित श्रवण कुमार द्विवेदी का जीवन सादा, सिद्धांतवादी और समाजसेवा से ओतप्रोत था। वे न केवल पत्रकारों के लिए संरक्षक के रूप में प्रसिद्ध थे, बल्कि युवाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत रहे। उनके विचार, कार्यशैली और व्यवहार ने समाज में एक अमिट छाप छोड़ी।
अंतिम दर्शन में उमड़ा जनसैलाब
मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन हेतु उनके उरई स्थित आवास पर रखा गया, जहां बड़ी संख्या में पत्रकार, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, प्रशासनिक अधिकारी एवं आमजन भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे।
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को चिरशांति प्रदान करें और शोकाकुल परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति दें।
पंडित श्रवण कुमार द्विवेदी जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
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