एनसीडी स्क्रीनिंग में मंडल का चित्रकूट जिला प्रदेश में अव्वल

गैर संचारी रोगों (एनसीडी) को रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियान में सीबैक व स्क्रीनिंग में मंडल का चित्रकूट जनपद..

एनसीडी स्क्रीनिंग में मंडल का चित्रकूट जिला प्रदेश में अव्वल

- महोबा जनपद मंडल में दूसरे व प्रदेश में 5 वें पायदान पर 

गैर संचारी रोगों (एनसीडी) को रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियान में सीबैक व स्क्रीनिंग में मंडल का चित्रकूट जनपद प्रदेश में सबसे आगे है। महोबा जनपद 5वें पायदान पर है। गांव स्तर पर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में 30 साल की उम्र पार कर चुके लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। अभियान पहली जून से 30 जून तक चल रहा था, बाद में इसे बढ़ाकर 15 जुलाई तक कर दिया गया है।

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चित्रकूटधाम मंडल के स्वास्थ्य अपर निदेशक डा. नरेश सिंह तोमर ने बताया कि अभियान में चित्रकूट जनपद को 95460 लोगों के सीबैक और 47730 लोगों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके सापेक्ष अभी तक 76779 यानी 80.43 फीसदी लोगों के सीबैक तथा 47730 में 92239 यानी 193.25 फीसदी लोगों की स्क्रीनिंग कर उन्हें पोर्टल पर अपडेट किया गया है। प्रदेश में यह सबसे ज्यादा है। मंडल का एक और जनपद महोबा प्रदेश में 5वें स्थान पर है। यहां 62530 के मुकाबले 40802 यानी 65.25 फीसदी सीबैक तथा 31565 में 29103 यानी 93.08 फीसदी स्क्रीनिंग की गई हैं।

अपर निदेशक ने बताया कि हमीरपुर जनपद 11वें स्थान पर है। यहां 90650 यानी 34.98 फीसदी लोगों के सीबैक तथा 45325 में 35386 यानी 87.07 फीसदी स्क्रीनिंग हुई हैं। इसी तरह बांदा 68वें पायदान पर है। यहां 107670 में 11574 यानी 10.75 फीसदी सीबैक तथा 53835 में 10773 यानी 20.01 फीसदी लोगों की ही स्क्रीनिंग की गई है।

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मंडलीय कार्यक्रम प्रबंधक आलोक कुमार ने बताया कि प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों में मंडल के दो जनपद चित्रकूट व महोबा शामिल हैं, यह सराहनीय है। बांदा में कम्युनिटी हेल्थ आफीसर को कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।

मंडलीय कार्यक्रम प्रबंधक आलोक कुमार बताते हैं कि ग्रामीण स्तर पर बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ के जरिए 30 साल की उम्र पार कर चुके लोगों की स्क्रीनिंग की जाती है। इनमें तीन किस्म के कैंसर ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल, ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन और डायबिटीज की जांच होती है, जिन भी मरीजों में इन रोगों की संभावना होगी, उनका विवरण फार्म में भरा जाता है। ऐसे मरीजों को उच्च चिकित्सा के लिए रेफर किया जाता है।

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