महाकुम्भ ने धार्मिक पर्यटन के ‘गोल्डन ट्रायंगल’ को दी नई ऊंचाई, यूपी की इकोनॉमी के लिए शुभ संकेत
देश में काशी, प्रयागराज और अयोध्या धाम धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े स्वर्ण त्रिकोण (गोल्डन ट्रायंगल) के रूप में...
![महाकुम्भ ने धार्मिक पर्यटन के ‘गोल्डन ट्रायंगल’ को दी नई ऊंचाई, यूपी की इकोनॉमी के लिए शुभ संकेत](https://bundelkhandnews.com/uploads/images/2025/02/image_750x_67aef780129f3.jpg)
महाकुम्भ नगर। देश में काशी, प्रयागराज और अयोध्या धाम धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े स्वर्ण त्रिकोण (गोल्डन ट्रायंगल) के रूप में उभरे हैं। तीर्थों के तीर्थ प्रयागराज में चले रहे दुनिया के सबसे बड़े समागम महाकुम्भ में इस गोल्डन ट्रायंगल ने प्रसिद्धि, कमाई और श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से नये कीर्तिमान बनाये हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस महाकुम्भ के आयोजन के लिए गभग 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट आवंटित किया है। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला महाकुम्भ राज्य सरकार की इकोनॉमी के लिए भी शुभ माना जा रहा है। महाकुम्भ से राज्य सरकार की इकोनॉमी में 2 लाख करोड़ रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है। कुम्भ मेले के समापन में 12 दिन शेष हैं, कमाई का आंकड़ा बढ़ने की संभावना है।
आस्था का यह सैलाब सिर्फ प्रयागराज तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश के बाकी धार्मिक शहरों तक भी इस भीड़ और लोगों की आस्था का बड़ा असर दिखाई दे रहा है। सबसे बड़ा असर तो धर्म नगरी वाराणसी में देखने को मिल रहा है। यहां पर बाबा विश्वनाथ की नगरी में पहुंचकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने वालों ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि मंदिर के विस्तारीकरण के बाद अब तक सारे रिकॉर्ड इस भीड़ ने तोड़ दिए हैं।
वाराणसी में एक महीने में करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने किए दर्शन 11 जनवरी से 11 फरवरी यानी 1 महीने के अंदर विश्वनाथ मंदिर में एक करोड़ 50 लाख से अधिक लोगों ने दर्शन किए हैं। जो एक महीने में सर्वाधिक आंकड़ा है। काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के बाद एक महीने में आने वाले श्रद्धालुओं की यह सर्वाधिक संख्या है। यह आंकड़ा अभी प्रतिदिन बढ़ रहा है। मंदिर प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि एक महीने के अंदर 7 करोड़ रुपये (इसमें सोना-चांदी शामिल नहीं) का चढ़ावा आया है, जो अपने आप में एक नया कीर्तिमान है। यह चढ़ावा सिर्फ कुंडी में आए धन से है। जबकि सारे टिकट और वीआईपी सुविधाओं को बंद कर रखा गया है। माना जा रहा है कि यह फाइनल काउंटिंग में और भी ज्यादा होगी। यह जो धनराशि प्राप्त हुई है वह अब तक एक महीने में सर्वाधिक है।
रामलला की नगरी मिनी कुम्भ में तब्दील रामलला की नगरी मिनी कुम्भ में तब्दील हो गई है। प्रयाग महाकुम्भ की शुरुआत के बाद अयोध्या में लगातार पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है। अयोध्या में भीड़ बढ़ने की वजह से राम पथ, भक्ति पथ और राम जन्मभूमि पथ को पूरी तरह सील कर दिया गया है। शहर के दोनों तरफ बैरिकेडिंग की गई है। वहीं शहर को नो व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही वीआईपी और वीवीआईपी पास पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरयू घाट से लेकर राम मंदिर तक जाने वाले रामपथ मार्ग पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अलग-अलग रूट निर्धारित किए गए हैं। अयोध्या आने वाले भक्तों की सबसे अधिक भीड़ राम मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रही है।
श्रीराम जन्मभूमित तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक जनवरी माह में 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे। इन दिनों प्रतिदिन 3 से 4 लाख श्रद्धालु रामनगरी में दर्शन कर रहे हैं, जो अयोध्या के स्ट्रक्चर की दृष्टि से बहुत अधिक है। हालांकि प्रतिदिन डेढ़ से 2 लाख श्रद्धालुओं के राम नगरी में दर्शन पूजन की समुचित व्यवस्था है। होटल, परिवहन, ग्रॉसरी, पूजा सामग्री से लेकर पटरी दुकानदारों के चेहरे भीड़ की वजह से खिले हुए हैं। रामलला की नगरी में लक्ष्मी की बरसात हो रही है।
एक साल में रामलला के 4 करोड़ श्रद्धालुओं ने किए दर्शन22 जनवरी 2024 को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से एक वर्ष में 04 करोड़ भक्तों ने रामलला के दर्शन किये हैं। भक्तों ने दो सौ करोड़ से अधिक की राशि अर्पित की है। अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों में राम मंदिर की वजह से एक वर्ष का कारोबार 15 हजार करोड़ रुपये का रहा। रामनगरी ने नोएडा और लखनऊ से ज्यादा जीएसटी भरकर उत्तर दिया कि अब अयोध्या विकास के पुष्पक विमान पर है।
यूपी सरकार को 2 लाख करोड़ की कमाई की संभावना आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक, महाकुम्भ 2025 से राज्य सरकार की इकोनॉमी में 2 लाख करोड़ रुपये तक का बढ़ोतरी हो सकता है। महाकुम्भ मेला में आने वाला हर श्रद्धालु अगर 5,000 रुपये खर्च करता है, तो इस आयोजन से यूपी सरकार को कुल 2 लाख करोड़ रुपये की कमाई होने का अनुमान है। हालांकि कुछ अनुमानों के मुताबिक प्रति व्यक्ति खर्च 10,000 रुपये तक पहुंच सकता है, जिससे कुल आर्थिक प्रभाव 4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इससे राज्य की जीडीपी में एक प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है। 2019 में प्रयागराज के अर्धकुम्भ मेले ने राज्य की अर्थव्यवस्था में 1.2 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया था।
हिन्दुस्थान समाचार
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