जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज का ऋषि परंपरा को बनाए रखने में अहम योगदान : कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय

जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्व विद्यालय में आधुनिक जीवन में ऋषि परंपरा विषय को लेकर तीन दिवसीय गोष्ठी...

Sep 9, 2024 - 00:08
Sep 9, 2024 - 00:39
 0  3
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज का ऋषि परंपरा को बनाए रखने में अहम योगदान : कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय

संगोष्ठी के दूसरे दिन विद्वानों ने रखे विचार

चित्रकूट। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्व विद्यालय में आधुनिक जीवन में ऋषि परंपरा विषय को लेकर तीन दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें दूसरे दिन विद्वानों ने कहा कि ऋषि परंपरा के द्वारा दी गई समस्त शिक्षाएं न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि मानव मूल्यों के रूप में उन्हें अपने जीवन में उतारना चाहिए।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के सभागार में हो रही संगोष्ठी में दूसरे दिन जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने शुभारम्भ किया। कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति का स्वागत करते हुए कहा कि आधुनिक युग में ऋषि परंपरा के संवाहक के रूप में जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने जगदगुरु महाराज को अपने प्रत्यक्ष गुरु के रूप में स्वीकार कर उनके मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय में ऋषि परंपरा के निर्वहन का संकल्प व्यक्त किया। तत्पश्चात तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने ऋषि परंपरा के महत्व को बताते हुए कहा कि आधुनिक युग में ऋषि परंपरा के द्वारा दी गई समस्त शिक्षाएं मानव जीवन के लिए महत्पपूर्ण है। जिनके माध्यम से मानव का कल्याण हो सकता है। कहा कि ऋषि जंगलों में रहते हुए समाज की भलाई के लिए निस्वार्थ रूप से काम करते हैं। जो भी शिक्षा दी जाती थी वह मानव के हित के लिए होती थी। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में ऋषि परंपरा को बनाए रखने में जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी का योगदान है। उनके दिखाएं गए मार्ग पर ही दिव्याग राज्य विश्वविद्वालय में पढ़ाई कराई जा रही है।

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय लखनऊ के प्रो रामसलाही द्विवेदी ने कहा कि  भारत की भूमि  ऋषि परंपरा की उर्वरा शक्ति के रूम में है। प्रत्येक शिक्षा संस्थान में अनिवार्य रूप से इसका निर्वाहन किया जाए। दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि संस्कृति भाषा में भी जगद्गुरु ने कई किताबे लिखी है। गोष्ठी के दौरान सप्त ऋषियों एवं श्री रामचरितमानस पर आधारित एक कलाकृति का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन महर्षि पाणिनि विश्वविद्यालय उज्जैन के डॉ तुलसीदास परौहा ने किया। इस मौके पर डॉ गोपाल कुमार मिश्र, डॉ महेंद्र कुमार उपाध्यायए, डॉ निहार रंजन मिश्र, डॉ विनोद कुमार मिश्र, डॉ किरण त्रिपाठी, डॉ अमित अग्निहोत्री, डॉ गुलाबधर, डॉ शशिकांत त्रिपाठी, डॉ प्रमिला मिश्रा, डॉ मनोज कुमार पांडेय आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0