होली के पर्व पर स्वदेशी आइटमों की धूम, लेकिन थोक व्यापारी क्यों हैं मायूस ?
इस बार होली 29 मार्च को है। ऐसे में होली से जुड़ा थोक व्यापार जोर पकड़ने लगा है। कानपुर, दिल्ली से माल मंगा लिया गया है..
- ग्रामीण इलाकों से खरीददारों के न आने से थोक व्यापारी मायूस
इस बार होली 29 मार्च को है। ऐसे में होली से जुड़ा थोक व्यापार जोर पकड़ने लगा है। कानपुर, दिल्ली से माल मंगा लिया गया है। लेकिन बिक्री अभी शुरू नहीं हुई है। बाजार में पिचकारी, गुलाल, विग, कैप आदि आ चुके हैं।
थोक व्यापारियों ने विभिन्न आइटमों का कलेक्शन किया है। व्यापारी चीन का सामान खरीदने से बच रहे हैं। पिछले साल होली के बाद कोरोना के केस मिलने पर लॉकडाउन लगा दिया गया था। अब कोरोना के मामले न के बराबर हैं और वैक्सीन भी लगाई जा रही है।
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जिसके बाद होली पर रंग, गुलाल व पिचकारी की अच्छी डिमांड होने की उम्मीद व्यापारियों को है। होली का पर्व निकट आते ही व्यापारियों ने बिक्री के लिए खरीदारी कर ली है। जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से फुटकर व्यापारी शहर की थोक दुकानों पर आ रहे हैं।
थोक विक्रेता उत्कर्ष पुरवार ने बताया कि बच्चों की पसंद को ध्यान में रखकर छोटी से लेकर बड़ी तक हर तरह की पिचकारियां मंगाई है। अभी तक डर था कि कोरोना संक्रमण का असर त्योहार पर पड़ेगा। लेकिन अब केस कम हो चुके हैं।
साथ ही वैक्सीन भी लग रही है। इसलिए दिल्ली व कानपुर से माल मंगाकर गोदाम में भर लिया है। लेकिन अभी दुकानों में खरीददारी करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र से भी ग्राहक नहीं आ रहे हैं।
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- आइटमों के थोक रेट
गुलाल- 50 से 300 रुपये प्रति किलो ग्राम, गुलाल गिफ्ट पैक 10-160 गुलाल सिलिंडर 500-2000, गुलाल कलर फॉग 100 रुपये में पांच पीस, रंग 5-50 रुपये डिब्बी, पिचकारी 10-1200 रुपये प्रति पीस, विग और कैप 5-100 रुपये तक
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- पिछली साल हुआ था सौ फीसदी व्यापार
शहर के थोक व्यापारियों के मुताबिक पिछले साल पूरे जिले में सौ फीसदी कारोबार हुआ था। छोटे विक्रेताओं ने भले ही अभी रंग गुलाल व पिचकारी के अलावा होली से संबंधित सामान सीमित रूप से खरीदा है।
लेकिन बाजार को सजाने के लिए होलसेल विक्रेताओं व थोक व्यापारियों ने विभिन्न वैरायटी में माल मंगवाया है। बाजार में कब किस चीज की डिमांड हो जाए। इसका कोई पता नहीं होता।
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- महामारी का असर दिखा दुकानों में
अब से होली महज 12 दिन बाद हैं। लेकिन दुकानों में अभी भी सन्नाटा पसरा है। दुकानदार भी रंग, गुलाल व पिचकारी का सामान मंगाकर गोदामों में रखे हैं।
लेकिन अभी तक दुकानों को नहीं सजाया है। दुकानदारों ने कहा कि दुकानों में सन्नाटा होने के कारण दुकान सजाने का भी मन नहीं हो रहा है। पिछले वर्ष इस समय बाजारों में त्योहार को लेकर चहल पहल थी।
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हि.स