1960 के पूर्व जब कस्बा सुमेरपुर में जूनियर के आगे की शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी यहां के छात्र 40 किलोमीटर दूर घाटमपुर पढ़ने जाते थे। यह देखकर स्वामी जी का हृदय पिघल उठा था। स्वामी के मन शिक्षण संस्थान खोलने की प्रबल इच्छा थी तो 1957 की विशाल यज्ञ के बाद जो धन अवशेष बचा था, उससे गायत्री विद्या मंदिर इंटर कॉलेज की स्थापना स्वामी जी द्वारा करायी गयी थी।
अब कस्बे में स्वामी रोटी राम जी की प्रेरणा से ही नागा स्वामी बालिका डिग्री कालेज, गायत्री बालिका इंटर कालेज, संस्कृत पाठशाला आदि विद्यालय संचालित हैं। स्वामी जी की कृपा से तथा नगर पंचायत अध्यक्ष आनंदी प्रसाद पालीवाल के प्रयासों से केंदीय विद्यालय, आईटीआई कालेज, पालीटेक्निक कॉलेज भी चल रहे हैं।
1960 के पूर्व सुमेरपुर में पूर्व माध्यमिक विद्यालय के बाद ऐसा कोई विद्यालय नहीं था जहां कस्बे के छात्र हाई स्कूल व इंटर तक शिक्षा ग्रहण कर लेते। यहां के छात्रों को शिक्षा ग्रहण करने हेतु घाटमपुर जाना पड़ता था। स्वामी जी को एक बार सुमेरपुर के कुछ छात्र घाटमपुर में मिल गए।
स्वामी जी ने उनसे पूछा कि तुम लोग यहां कैसे आए हो? छात्रों ने कहा कि सुमेरपुर में हाई स्कूल नहीं है। इस कारण हमें यहाँ शिक्षार्थ आना जाना पड़ता है। उसी समय उनके मन में यहां एक माध्यमिक विद्यालय खोलने का विचार जन्म ले चुका था। जो 1957 की यज्ञ के बाद साकार हुआ था। यज्ञ में बचे अवशेष धन से श्री गायत्री विद्या मंदिर इंटर कॉलेज की नीव रक्खी गई थी।
अब कस्बा सुमेरपुर में शिक्षण संस्थानों की कमी नहीं है। बालिकाओं के लिए पूर्व माध्यमिक स्तर से ग्रेजुएशन तक की शिक्षा के लिए बालिका विद्यालय संचालित हैं। इस तरह स्वामी रोटी राम जी यहां रहकर लोगों के कल्याण के लिए सारे प्रयास करते रहे। इसी कारण स्वामी जी आज भी लोगों के हृदय में समाए हुए हैं। लोगों में उनके प्रति पहले जैसी आस्था व श्रद्धा आज भी विद्यमान है।
वेद व्यास की अंतिम रचना है भागवत पुराण
स्वामी रोटी राम की तपस्थली गायत्री तपोभूमि मे यज्ञ के तीसरे दिन कलश यात्रा के साथ भागवत कथा शुभारंभ हुआ। वेद मंत्रों के साथ गणेश पूजन के बाद भागवत की महिमा के बारे में बोलते हुए कथा व्यास दुर्गा प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि परमात्मा की भांति भागवत पुराण अनादि और अनंत है। यह शास्वत ग्रंथ है। सभी पुराणों में भागवत पुराण कथा की महिमा का बखान किया गया है। सभी युगों में भागवत पुराण कथा का महिमा मंडन हुआ है। भागवत कथा के द्वारा लोक कल्याण हो रहा है।
भविष्य में भी भागवत भक्त जनों का मार्गदर्शन करती रहेगी। कथा व्यास ने बताया कि बेद व्यास की यह अंतिम रचना है। नारदजी के आग्रह पर भगवान वेदव्यास ने 4 श्लोकों से 18 हजार श्लोक वाली श्रीमदभागवत पुराण कथा की रचना कर डाली थी। उन्होने बताया कि भागवत को सुनने के बाद उसे जीवन में उतारने से ही भक्तों का कल्याण होता है। सिर्फ सुनने से ही बात नहीं बनती। उनका कहना था कि परमात्मा की भक्ति ही जीवन का मुख्य आधार है। वहीं यज्ञ के तीसरे दिन यज्ञ वेदी में कर्मकांडी ब्राह्मणों द्वारा गायत्री मंत्र जप चलता रहा। तपोभूमि में साधु संतों का आगमन जारी है।
हिन्दुस्थान समाचार