बड़े दुकानदारों की पौ-बारह, छोटों पर चल गया बुलडोजर, महिलाओं का रोना भी न आया काम

बांदा शहर के मुख्य बाजार से अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासनिक अमला जेसीबी मशीन के साथ दुकानदारों के बढ़े हुए अतिक्रमण को..

बड़े दुकानदारों की पौ-बारह, छोटों पर चल गया बुलडोजर, महिलाओं का रोना भी न आया काम

बांदा शहर के मुख्य बाजार से अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासनिक अमला जेसीबी मशीन के साथ दुकानदारों के बढ़े हुए अतिक्रमण को हटाने में जुटा है। पिछले 3 दिन से अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी है। इस दौरान प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाकर व्यापारी नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं। इसी बात को लेकर कई जगह नोंकझोंक की नौबत आ गई।

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कमिश्नर, डीएम और एसपी द्वारा पिछले कई दिनों से व्यापारियों से अतिक्रमण हटाने की अपील की जा रही थी, लेकिन व्यापारी स्वेच्छा से अतिक्रमण हटाने को तैयार नहीं हुए। जिससे रविवार को नगर मजिस्ट्रेट केशव गुप्ता ने भारी पुलिस बल के साथ महेश्वरी देवी चौराहा से लेकर कोतवाली रोड, मनिहारी रोड, सब्जी मंडी होते हुए बाजार के कई स्थानों पर अतिक्रमण हटवाया। दूसरे दिन रामलीला रोड में भी अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी रहा।

तीसरे दिन महेश्वरी देवी चौराहे के आसपास अतिक्रमण हटवाया गया लेकिन प्रशासन द्वारा महेश्वरी देवी मंदिर परिसर में बनी अवैध दुकानों के अतिक्रमण को हटाने में परहेज किया गया। जबकि महेश्वरी देवी मन्दिर ट्रस्ट का न्यायालय द्वारा दिये गये आदेश के अनुसार महेश्वरी देवी मन्दिर परिसर में बनी दुकानें हटायी जानी चाहिये। यानि मन्दिर को व्यवसायिक गतिविधि से मुक्त होना चाहिये।

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जब इस बावत सिटी मजिस्ट्रेट केशव गुप्ता से पूंछा गया तो उन्होंने गोल-मोल जवाब देते हुए मन्दिर परिसर की दुकानों को हटाये जाने से परहेज किया। महेश्वरी देवी चौराहे पर जिन दुकानदारों के चबूतरे अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिये गये, उनका विरोध इस बात पर था कि छोटे दुकानदारों को तहस-नहस करके प्रशासन बड़े दुकानदारों की दुकानों और उनके चबूतरे बचा रहा है।

प्रशासनिक अमले के सामने तमाम दुकानदार रोये-गिड़गिड़ाये और तमाम ने थोड़ी देर बाद अतिक्रमण हटाने का भरोसा दिलाया पर प्रशासन के सख्त रवैये के आगे सब बेकार साबित हुआ। नगर पालिका की जेसीबी मशीन का पंजा जहां इशारा हो जाता था वहां का चबूतरा अपने में समेट लाता था। जिला प्रशासन का कहना था कि व्यापारी सड़क के लेवल पर नाली ढकने की व्यवस्था करें। जबकि व्यापारियों का कहना है कि नाली जब आपकी है तो उसे ढकने की भी व्यवस्था आप ही को करनी चाहिये।

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पर प्रशासन और पुलिस अफसरों के तेवर व डंडे के आगे सबकी आवाज दब गयी। जो प्रभावशाली था उसके चबूतरे को तो छुआ भी नहीं गया। महेश्वरी देवी चौराहे पर लस्सी की दुकान चलाने वाला दुकानदार ने जब अपना डिब्बा उजड़ते देखा तो वो बिफर गया। उसका कहना था कि उसके डिब्बे को तो हटा दिया गया पर उसी के बगल से रखे हुए तीन डिब्बे प्रशासन क्यों नहीं हटा रहा? क्योंकि वो डिब्बे पूर्व विधायक के रहमोकरम पर रखे हुए हैं। आखिर ये भेदभाव क्यों? पर उसका विरोध भी प्रशासन की रौबदार आवाज़ के शोर में दब कर रह गया।

इस कार्यवाही पर व्यापारी नेता संतोष अनशनकारी का कहना है कि हर साल प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटवाने का अभियान चलाया जाता है। अगर अतिक्रमण हटाने के बाद सीमांकन कर दिया जाए तो व्यापारी आगे अतिक्रमण नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन केवल व्यापारियों पर पूरी ताकत दिखाता है जबकि सरकारी तंत्र का अतिक्रमण हटाने के नाम पर चुप हो जाता है।

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व्यापारी नेता ने कहा कि अतिक्रमण का एक बड़ा कारण बिजली के खंभे और टेलीफोन के खंभे है भी हैं। इन्हें हटाने के लिए हर बार जिला अधिकारी और कमिश्नर की बैठक में व्यापारी निवेदन करते हैं। इतना ही नहीं इन खंभों को हटाने के लिए नगर पालिका द्वारा बिजली विभाग को पैसा भी ट्रांसफर कर दिया गया है लेकिन अभी तक यह खंभे नहीं हटाए गए हैं। प्रशासन को चाहिए कि पहले सरकारी तंत्र के अतिक्रमण हटवाए और उसके बाद व्यापारियों का अतिक्रमण हटवाए। 

उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ तो अतिक्रमण के नाम पर नालियों को ओपन किया जा रहा है इन्हें ढकने की व्यवस्था नहीं की जा रही है। ग्राहक दुकानों में सामान लेने जाएगा तो क्या नालियों में खड़े होकर सामान लेगा। वहीं दूसरी तरफ नालियों की दुर्गंध से दुकानदार बीमार होगा और ग्राहक भी नाली में खड़े होकर सामान लेना पसंद नहीं करेगा। इसलिए नगर पालिका नाली को ढकने की व्यवस्था करें और अतिक्रमण में निकले मलबे को हटाने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अतिक्रमण हटाने में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

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उधर राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के नेता मुकेश गुप्ता ने कहा कि प्रशासन को चाहिये कि नाली के ऊपर से अतिक्रमण हटाने के बाद तुरन्त अपने तरीके से नाली को ढकने की भी व्यवस्था कराये। अन्यथा ऐसे अतिक्रमण हटाने से केवल खानापूर्ति होगी, और व्यापारियों का नुकसान होगा। और इसके साथ ही किसी भी तरह के भेदभाव से इतर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही होनी चाहिये।

देखा जाये तो शहर में हर ओर बढ़ते अतिक्रमण को देखते हुए प्रशासन का ये अभियान चलते रहना चाहिये पर निष्पक्ष रूप से। अगर कोई प्रभावशाली को प्रशासन छूट देता है तो इससे आम व्यापारियों में विरोध के स्वर फूटना स्वाभाविक होगा। इसे कहीं से भी न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। इसीलिए प्रशासन को चाहिये कि लोगों की चिंता को देखते हुए नालियों को ढकने की उचित व्यवस्था कराते हुए निष्पक्ष तरीके से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही को अंजाम दें।

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