यूपीसीडा द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्र भूरागढ़ में 30 वर्ष बाद भी आवश्यक सुविधाओं का टोटा

जनपद के भूरागढ़ में यूपीसीडा द्वारा 30 वर्ष पहले विकसित किया गया औद्योगिक क्षेत्र में अभी भी आवश्यक सुविधाओं का टोटा है..

यूपीसीडा द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्र भूरागढ़ में 30 वर्ष बाद भी आवश्यक सुविधाओं का टोटा

बांदा,

जनपद के भूरागढ़ में यूपीसीडा द्वारा 30 वर्ष पहले विकसित किया गया औद्योगिक क्षेत्र में अभी भी आवश्यक सुविधाओं का टोटा है। जिससे यहां कोई भी उद्यमी उद्योग स्थापित करने से कतराता है। 30 वर्षों के बाद भी यहां बिजली, पानी सड़क आदि की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। यह मामला डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज एसोसिएशन बांदा के अध्यक्ष डॉ मनोज शिवहरे ने गत दिवस बांदा भ्रमण पर आए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के समक्ष उठाया। इस संगठन से जुड़े उद्यमियों ने बताया कि इसकी स्थापना 20 वर्ष पूर्व यूपीसीडा द्वारा की गई थी।

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इस विभाग ने इस औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए कभी कोई कदम नहीं उठाया। विकास के नाम पर जो भी बजट आता है लीपापोती कर दी जाती है। इतना ही नहीं यूपीसीडा के क्षेत्रीय प्रबंधक प्रदीप सत्यार्थी एवं उनके अधीनस्थ धर्मेंद्र शर्मा द्वारा उद्यमियों को अनावश्यक परेशान किया जाता है। प्लॉट आवंटन एवं रजिस्ट्री के नाम पर सुविधा शुल्क मांगी जाती है। मांग की पूर्ति न करने पर उद्यमियों को कई बार प्रयागराज के चक्कर लगवाए जाते हैं और आवंटन में जानबूझकर विलंब किया जाता है।

जिसके कारण जनपद बांदा के उद्यमी उद्योग स्थापित करने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं। इन्हीं अधिकारियों की लापरवाही से औद्योगिक क्षेत्र भूरागढ़ मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। डिप्टी सीएम को इस संबंध में सौपे गए ज्ञापन में कहा गया कि संपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र में सड़कों का निर्माण नहीं है। जो सड़क बनी है वह भी मानक से कम चौड़ी बनी है। जिससे 2 गाड़ियां भी एक साथ क्रास नहीं कर पाती हैं। जल निकासी के लिए नालियों का निर्माण नहीं कराया गया। पेयजल के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं है। सड़क के किनारे रोड लाइट नहीं है। विद्युत आपूर्ति के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए हैं जबकि इंडस्ट्री के सफल संचालन के लिए बिजली की अहम भूमिका होती है।

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संपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित उद्योगों को समुचित बिजली नहीं मिलती है। जिसकी शिकायत विद्युत विभाग से की गई लेकिन विद्युत विभाग द्वारा किसी तरह का सुधार नहीं किया गया। जबकि नियमानुसार औद्योगिक क्षेत्र का विद्युत फीडर स्वतंत्र होता है। स्वतंत्र फीडर न होने के कारण विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर उद्योग ठप्प रहते हैं।

सुविधाएं न होने के बाद भी यूपीसीडा द्वारा मेंटेनेंस शुल्क उद्यमियों से वसूल किया जाता है। उद्यमियों ने इस संबंध में डिप्टी सीएम से मांग की है कि विभाग के उक्त दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और संपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र में सड़क, नाली, पानी विद्युत जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की जाए, ताकि उद्योगों की स्थापना में किसी तरह की परेशानी न हो।

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