बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक भ्रमण: रेशम उत्पादन पर मिला अनुभव
डॉ. आदित्य नारायण की देखरेख में झाँसी के राजकीय टसर रेशम फार्म घिसौली का दौरा किया। यहाँ उन्हें रेशम उत्पादन के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त हुई। श्री ए. के. राव, सहायक निदेशक रेशम विकास भवन झाँसी ने रेशम संवर्धन के लाभ और इसकी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया।

झाँसी: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी के परीक्षा नियंत्रक श्री राज बहादुर, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री सुनील कुमार सेन, डीन साइंस प्रोफेसर आरके सैनी और डॉ. प्रशांत मिश्रा ने जंतु विज्ञान विभाग के समन्वयक डॉ. आदित्य नारायण, डॉ. आशुतोष, श्रीमती मेघा निगम और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को एक शैक्षणिक भ्रमण पर भेजा।
यह भ्रमण छात्रों को रोजगार और अतिरिक्त आय के सुलभ साधन से परिचित कराने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। भ्रमण के दौरान छात्र-छात्राओं ने डॉ. आदित्य नारायण की देखरेख में झाँसी के राजकीय टसर रेशम फार्म घिसौली का दौरा किया। यहाँ उन्हें रेशम उत्पादन के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त हुई। श्री ए. के. राव, सहायक निदेशक रेशम विकास भवन झाँसी ने रेशम संवर्धन के लाभ और इसकी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया।
रेशम संवर्धन: रोजगार का उत्तम साधन
श्री राव ने कहा कि रेशम संवर्धन समस्त आयु और आय वर्ग के लोगों के लिए एक सुलभ रोजगार का साधन है। यह उद्योग श्रम-आधारित है, जिससे विभिन्न स्तरों पर रोजगार सृजन की भरपूर संभावनाएँ हैं। इसके अलावा, रेशम संवर्धन पर्यावरण की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्होंने रेशम के विभिन्न प्रकारों के बारे में बताया, जैसे:
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मुलबरी रेशम: यह सबसे सामान्य और उच्च गुणवत्ता वाला रेशम है।
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टसर रेशम: भारत और चीन में पाया जाता है।
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एरी रेशम: यह एरी कीट से प्राप्त किया जाता है।
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मुगा रेशम: यह मुगा कीट से प्राप्त होता है।
रेशम के उपयोग और पालन की प्रक्रिया
रेशम का उपयोग न केवल उच्च गुणवत्ता वाले कपड़े और परिधानों में किया जाता है, बल्कि चिकित्सा उपकरणों और प्रत्यारोपण में भी किया जाता है।
श्री नेत्रपाल सिंह ने रेशम कीट पालन और उनकी देखभाल के बारे में जानकारी दी, ताकि वे स्वस्थ और मजबूत होकर रेशम के कोकून बना सकें। अर्जुन वृक्ष पर रेशम कीट पालन एक पारंपरिक गतिविधि है, विशेष रूप से भारत में, और अर्जुन वृक्ष की पत्तियों पर इनकी देखभाल की जाती है।
रेशम की प्रसंस्करण की जानकारी
श्रीमती मेघा निगम ने बताया कि रेशम के कोकून को उबालने के बाद उसकी निकासी और प्रसंस्करण की जाती है, ताकि यह उपयोग के लिए तैयार हो सके।
इस शैक्षणिक भ्रमण ने छात्रों को रेशम उत्पादन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की और उन्हें रोजगार के नए अवसरों से परिचित कराया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसे शैक्षणिक भ्रमणों को बढ़ावा देने की बात कही, ताकि छात्रों को रोजगार के विभिन्न विकल्पों के बारे में जागरूक किया जा सके।
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