तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महराज को मिला 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार
देश की राजधानी नई दिल्ली में शुक्रवार को तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को देश की राष्ट्रपति द्रोपदी...

नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने किया सम्मानित
चित्रकूट। देश की राजधानी नई दिल्ली में शुक्रवार को तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा सम्मानित किया गया। इस दौरान धर्मनगरी में संतों एवं हिंदूवादी संगठनों ने प्रसन्नता का इजहार किया।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शुक्रवार को आयोजित एक भव्य समारोह में देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने संस्कृत के महान विद्वान तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञान पीठ पुरस्कार प्रदान किया। राष्ट्रपति ने साहित्य की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य समाज को जोड़ने और जागरूक करने का कार्य करता है। उन्होंने वंदे मातरम जैसे प्रेरणादायक गीतों और वाल्मीकि, कालिदास, रविन्द्रनाथ टैगोर जैसे कवियों की रचनाओं का उल्लेख करते हुए भारतीय साहित्य की समृद्ध परम्पराओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट वर्ष 1965 से विभिन्न भारतीय भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित कर रही है और भारतीय भाषाओं की गरिमा को सशक्त बना रही है। उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य महराज की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने शारीरिक सीमाओं के बावजूद साहित्य और समाजसेवी के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दिया है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इस दौरान तुलसी पीठाधीश्वरी के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास ने कहा कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य द्वारा चित्रकूट में दिव्यांगों के लिए विश्वविद्यालय बनाकर सरकार को दिया गया है। उनकी निःस्वार्थ समाजसेवा का लाभ हजारों दिव्यांगों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी पुरस्कार स्वयं ही पुरस्कृत हो जाता है। जगद्गुरु के सम्मान पर धर्मनगरी के प्रमुख संतों और समाजसेवियों ने प्रसन्नता का इजहार किया है।
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