प्रान्तीय अधिवेशन में शिक्षा की दशा और दिशा पर हुआ चिन्तन मंथन

जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय उप्र अवकाश प्राप्त माध्यमिक शिक्षक...

प्रान्तीय अधिवेशन में शिक्षा की दशा और दिशा पर हुआ चिन्तन मंथन

अवकाश प्राप्त माध्यमिक शिक्षक कल्याण एसोसियेशन के प्रान्तीय अधिवेशन का दूसरा दिन

शिक्षा और शिक्षकों के प्रति सरकार का रवैया चिन्ताजनक : देवेन्द्रनाथ मिश्र

चित्रकूट। जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय उप्र अवकाश प्राप्त माध्यमिक शिक्षक कल्याण एसोसियेशन के दूसरे दिन वर्तमान शिक्षा की दशा और दिशा पर बुजुर्ग व अनुभवी शिक्षक नेताओं ने गहन चिन्तन मंथन किया। वक्ताओं ने शिक्षा और शिक्षकों के प्रति वर्तमान सरकार की उपेक्षात्मक रवैये पर गहरी चिन्ता जताई है । कहा कि जब तक किसी राज्य की शिक्षा व्यवस्था सुदृढ नहीं होगी वह राज्य कभी खुशहाल नहीं हो सकता। वर्तमान सरकार बेरोजगारी को बढावा दे रही है । शिक्षक विभिन्न समस्याओं से जूझ रहें हैं ऐसी दशा में सरकार क्या उम्मीद कर सकती है कि असन्तुष्ट शिक्षक सही ढंग से पढायेगा और उसके पढाने से शिक्षा में गुणात्मक सुधार आयेगा। वर्तमान समय शिक्षित बेरोजगारी बढाई जा रही है । रोजगार के अवसर दिनांे दिन कम होते जा रहे हैं ।

शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र नाथ मिश्र ने कहा कि मौजूद सरकार शिक्षा और शिक्षकों के प्रति संवेदनशील नहीं है, शिक्षक प्रतिनिधियों से सरकार संवाद स्थापित नहीं कर रही है यही वजह है कि शिक्षा जगत में समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है। एक ही भवन में कई तरह के शिक्षक शिक्षण कार्य कर रहे हैं। जो मामले लम्बित हैं उनके निस्तारण की समयावधि निर्धारित होनी चाहिये। सेवानिवृत्त होने के बाद शिक्षक अपने बकाया देयकों व पेंशन लागू कराने को लेकर शिक्षा विभाग के दफ्तरों के चक्कर काटता रहता है। 


माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री भगवान शंकर त्रिवेदी ने कहा कि सरकार मनमानी नीतियां शिक्षकों पर थोप कर अपनी तानाशाही दिखा रही है। उच्च सेवा आयोग 2023 के गठन के उपरान्त माध्यमिक शिक्षा सेवा बोर्ड 1982 शून्य हो गया है। ऐसी स्थिति में माध्यमिक शिक्षकों की धारा 14 के अन्तर्गत एलटी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति तथा हाईस्कूल प्रधानाचार्य से इण्टर प्रधानाचार्य पद के लिये धारा 18 की पदोन्नति भी समाप्त हो गई है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि माध्यमिक शिक्षकों की सेवा समाप्त सम्बन्धी धारा 21 के विघटन के पश्चात पूरे प्रदेश में प्रबन्ध तंत मनमानी पर उतारू है। धारा 21 के प्रवर्त होने से न तो शिक्षक की वेतन वृद्धि न तो पदच्युत न ही परिलब्धियों मंे कमी की जायेगी। इसके लिये आयोग का पूर्व अनुमोदन लेना अनिवार्य था। इन सभी विसंगतियों को लेकर 13 नवम्बर को शिक्षा निदेशक माध्यमिक लखनऊ कार्यालय का घेराव किया जायेगा। विद्यासागर शुक्ल ने कहा कि सरकार सभी शिक्षकों के लिये बुढापे का सहारा पुरानी पेंशन को जारी रखने का काम करे जब विधानसभा , लोकसभा के सदस्यों की पेंशन लागू है तो शिक्षक कर्मचारियों को पेंशन देने में सरकार क्यों आनाकानी कर रही है। 

गोष्ठी में ओपी त्रिपाठी, कमलाकान्त शर्मा,रामसखा माहुले, राजकुमार बाजपेई, रामजपित सिंह, नन्द कुमार मिश्र, विजय बहादुर सिंह, विजय शंकर सिंह, रमेश चन्द्र सिंह, वृजेन्द्र कुमार श्रीमाली, टीपी सिंह, रामशंकर वर्मा, पीएन श्रीवास्तव, केशव कुमार माथुर, राजेन्द्र श्रीवास्तव, फूलचन्द्र चन्द्रवंशी, रामबचन सिंह, विजय कुमार पाण्डेय, शंकर प्रसाद यादव, लालमन, डा रमेश सिंह चंदेल, डा करूणाशंकर द्विवेदी आदि प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आये सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकायें मौजूद रहीं।

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