सावधानः जलवायु परिवर्तन का खतरा बढा, इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने जलवायु घड़ी असेंबल की

जलवायु परिवर्तन का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। 6 साल 90 दिन और 22 घंटे बाद धरती का तापमान 1.5 डिग्री...

सावधानः जलवायु परिवर्तन का खतरा बढा, इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने जलवायु घड़ी असेंबल की

बांदा, जलवायु परिवर्तन का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। 6 साल 90 दिन और 22 घंटे बाद धरती का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ेगा। अगर तापमान इस तरह तेजी से बढ़ेगा तो मनुष्य और जीव जंतु कैसे अपने आप को सुरक्षित रख पाएंगे। इसी खतरे को भांपकर सरकार भी लोगों को जागरूक कर रही है। वही जलवायु परिवर्तन मापने वाली घड़ी को लांच किया गया है। जिसे जनपद के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने मिलकर असेंबल किया है।

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राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र वैभव चौधरी ,हिमांशु निरंजन, दुष्येंद्र धमेलिया ,कृष्णा पाल ,विवेक श्रीवास द्वारा प्रयुक्त विज्ञान और मानविकी के विभागाध्यक्ष डॉ शैलेंद्र बादल के मार्गदर्शन में जलवायु परिवर्तन मापने वाली घड़ी को असेंबल किया गया। इस अवसर पर प्रयुक्त विज्ञान एवं मानविकी विभाग के अभिषेक भी मौजूद रहे।

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बताते चले कि पृथ्वी दिवस के मौके पर दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में सोलर मैन ऑफ इंडिया डॉ चेतन सोलंकी और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस घड़ी को लॉन्च किया है। ये घड़ी बता रही है कि सिर्फ 6 साल 90 दिन और 22 घंटे में कैसे धरती का तापमान 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा। भारत के सोलर मैन सोलंकी के अनुसार आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी जलवायु परिवर्तन के खतरों से अनजान है। जलवायु परिवर्तन के नाम पर लोगों की जिंदगी को बहुत बड़ा खतरा है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि इस खतरे के आने में कितना वक्त बचा है। इसी खतरे को देखतें हुए घडी  को लॉन्च किया गया है।

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जलवायु

घड़ी की असेंबली के लिए कई कॉलेजों और स्कूलों के छात्र एवं छात्राएं इस आयोजन में एकत्र हुए। राजकीय कॉलेज बांदा के छात्रों ने भी अपनी रुचि दिखाते हुए घड़ी को सर्वप्रथम बनाकर तैयार किया। जलवायु घड़ी असेंबली में 450 से ज्यादा जलवायु घड़ी बनकर इंडिया वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं एशिया वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया। इस बारे में संस्थान के कुलसचिव डॉ आशुतोष तिवारी ने बताया कि निकट भविष्य में संस्थान में भी जलवायु परिवर्तन पर कुछ कार्यक्रम एवं संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। जिससे समय-समय पर छात्र एवं छात्राओं में जलवायु परिवर्तन एवं प्रदूषण को लेकर जागरूकता बनी रहे।

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