बाबू सिंह कुशवाहा का राजनीतिक कद बढ़ा, बने सांसद

लोकसभा चुनाव में इस बार बांदा वासियों को दोहरी खुशी मिली है...

Jun 5, 2024 - 03:01
Jun 5, 2024 - 04:27
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बाबू सिंह कुशवाहा का राजनीतिक कद बढ़ा, बने सांसद
फ़ाइल फोटो

जौनपुर से जीत दर्ज कर बांदा को भी किया गौरांवित

बांदा, लोकसभा चुनाव में इस बार बांदा वासियों को दोहरी खुशी मिली है। बांदा के लोगों को इस बार एक नहीं दो सांसद मिले हैं। बांदा जनपद के बबेरू तहसील क्षेत्र की रहने वाली कृष्णा पटेल जहां बांदा चित्रकूट संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुई है। वही  इसी तहसील क्षेत्र के पखरौली गांव निवासी बाबू सिंह कुशवाहा ने उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज करके बांदा जनपद को गौरांवित किया है। उनकी जीत से जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है।

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राजनीति का बड़ा चेहरा

बाबू सिंह कुशवाहा राजनीति में प्रदेश का बड़ा सियासी चेहरा माना जाता है।उनकी पार्टी का नाम जन अधिकार पार्टी है और मायावती की सरकार में परिवार कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। 
कुशवाहा ने साल 1985 में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद वह 1988 में बसपा के संस्थापक कांशीराम के संपर्क में आए और कांशीराम ने उन्हें दिल्ली बुला लिया। कांशीराम का भरोसा जीतने के बाद उन्हें छह महीने के भीतर ही प्रमोट कर लखनऊ ऑफिस में संगठन का काम संभालने के लिए भेज दिया गया। इसके बाद 1993 में उन्हें बांदा का जिला अध्यक्ष बनाया गया और 2003 में उन्हें पार्टी ने पंचायती राज मंत्री बनाया। मायावती ने अपनी सरकार में 2007 में कुशवाहा को खनिज, नियुक्ति, सहकारिता जैसे महत्वपूर्ण दिए। साथ ही साथ परिवार कल्याण विभाग का गठन हुआ तो यह विभाग भी सौंप दिया गया था।

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  • मायावती के करीबी नेता

एक समय था जब कुशवाहा की बहुजन समाज पार्टी में तूती बोलती थी। उन्हें सालों तक मायावती का सबसे करीबी नेताओं में से एक गिना जाता था। उन्हें बसपा ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य बनाया और दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। कहा जाता है कि मायावती के बाद बसपा में वह नंबर दो की भूमिका रहते थे। एनआरएचएम घोटाले में नाम आने और लखनऊ में मेडिकल ऑफिसर की हत्याओं के बाद उन्होंने परिवार कल्याण और खनन विभाग के पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, बसपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। 

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  • 2011 में बनाई जन अधिकार पार्टी

बसपा से निकाले जाने के बाद कुशवाहा ने साल 2011 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी ।लेकिन पार्टी के नेताओं को ये बात नागवार गुजरी। बीजेपी के कुछ नेताओं की नाराजगी की वजह से उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी। इसके बाद कुशवाहा ने अपनी जन अधिकार पार्टी बनाई। उनकी पार्टी ने 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव लड़ा और एक भी सीट नहीं जीत पाई फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। प्रदेश भर में जन अधिकार यात्रा निकालकर पार्टी को और मजबूत किया। बिरहा उधर समाजवादी पार्टी से गठबंधन होने के कारण उन्हें सांसद बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

  • बांदा के विकास में बड़ा योगदान

बांदा में बसपा सरकार के कार्यकाल में जो भी विकास कार्य हुए उनमें बाबू सिंह का नाम भी दिया जाता है‌। उनके ही प्रयास से अतर्रा में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित हुआ था। माना जाता है कि बाबू सिंह कुशवाहा की जीत से जहां जौनपुर की जनता के लिए वह काम करेंगे। वही अपने गृह जनपद के लोगों की आवाज भी संसद में बुलंद करेंगे। उनकी जीत से उनके समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।

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