पारा लुढ़कने से दिल बड़े मुश्किल में, मंडल में नहीं है एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ

चित्रकूट धाम मंडल मुख्यालय में शीतलहर चल रही है। लगातार अधिकतम और न्यूनतम पारा गिरने से कड़ाके की ठंड...

पारा लुढ़कने से दिल बड़े मुश्किल में, मंडल में नहीं है एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ

 चित्रकूट धाम मंडल मुख्यालय में शीतलहर चल रही है। लगातार अधिकतम और न्यूनतम पारा गिरने से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ऐसे में ठंड से हर कोई बेहाल है। वही सर्दी का सितम सबसे ज्यादा दिल के मरीजों को सहन करना पड़ रही है। ठंड के चलते हृदय रोगियों की लगातार संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन जिला अस्पताल से लेकर रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज तक एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ न होने से हृदय रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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डॉक्टरों के मुताबिक दिल के मरीजों के अलावा शुगर के पीड़ितों के लिए भी ठंड घातक होती है। दरअसल ठंड में धमनिया सिकुड़ जाती हैं और रक्त के संचार की गति धीमी पर पड़ने लगती है, जिससे दिल को खून की सप्लाई करने के लिए दोगुना ऊर्जा लगानी पड़ती है और तब हार्ट फेल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इस समय ठंड के कारण हृदय रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। मंडल के चारों जनपदों से मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन मरीज आ रहे हैं लेकिन हृदय रोग विशेषज्ञ न होने से हृदय रोगियों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। जिनके पास इलाज के लिए पैसा है वह तो प्राइवेट डॉक्टरों की शरण में पहुंच जाते हैं। लेकिन जिनके पास इलाज के लिए पैसा नहीं है वह भगवान भरोसे अपना इलाज करवा रहे हैं।

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इस बारे में रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के प्रसार डॉ मुकेश कुमार यादव स्वीकार करते हैं कि ठंड में यहां प्रतिदिन कम से कम एक दर्जन हृदय रोग व सीने में दर्द की शिकायत लेकर मरीज आते हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए कई बार शासन को पत्र भेजा गया है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसी तरह का हाल जिला अस्पताल का है। यहां भी 10 से 15 मरीज प्रतिदिन आते हैं लेकिन यहां भी कोई हृदय रोग विशेषज्ञ न होने से फिजीशियन द्वारा उनका इलाज किया जा रहा है।
इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी बांदा डॉक्टर अनिल कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि जब पूरे प्रदेश के किसी जिले में हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं हैं, तो फिर बांदा में सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अभी निदेशालय द्वारा गैस्ट्रो के 2800 रिक्त पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी। जिसमें सिर्फ 2000  फॉर्म आए हैं। इनमें भी जब इंटरव्यू होगा तो आधे नहीं आएंगे और जिनकी नियुक्ति होगी उनमें आधे से अधिक ज्वाइन नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में प्रदेश में हृदय से संबंधित डॉक्टरों की भारी कमी है।

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बतातें चलें कि अरबों रुपये लागत से बने रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज की शुरुआत वर्ष 2016 से हुई थी। इस समय यहां 500 एमबीबीएस छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। फिर भी यहां अब तक  हृदय रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हुई। वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. शैलेंद्र कुमार यादव हृदय रोग के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। गंभीर हालत होने पर बाहर के लिए रेफर कर दिया जाता है। इसी तरह जिला अस्पताल में करीब दो साल से हृदय रोग विशेषज्ञ का पद रिक्त है। वर्ष 2021 में डॉ. केएल पांडेय के सेवानिवृत्त होने के बाद यहां दूसरा हृदय रोग विशेषज्ञ तैनात नहीं हो सका। फिजीशियन डॉ. शिशिर चतुर्वेदी हृदय रोगी का इलाज कर रहे हैं।

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