नाबालिग दौड़ा रहे है सड़कों पर वाहन, फिर भी ट्रैफिक पुलिस है मौन
आजकल बच्चों में स्कूटी व बाइक लेकर स्कूल जाने का क्रेज बढ़ता...
बांदा। आजकल बच्चों में स्कूटी व बाइक लेकर स्कूल जाने का क्रेज बढ़ता जा रहा है। 12वीं तक की कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थी की उम्र बमुश्किल 16-17 वर्ष होती है। ऐसे में उनके पास न तो ड्राइविंग लाइसेंस होता है और न ही ठीक से वाहन चलाने की ट्रेनिंग होती है। यही वजह है कि वाहन चलाते समय बच्चे खुद हादसे का शिकार होते हैं या फिर राहगीरों को टक्कर मार कर जख्मी कर देते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए बांदा ट्रैफिक पुलिस ने अभिभावकों से नाबालिग बच्चों को दो पहिया वाहन चलाने के लिए न देने का आग्रह किया है। इसके लिए स्कूल कॉलेज से भी सहयोग मांगा है। स्कूल कॉलेज के संचालकों ने भी अभिभावकों से आग्रह किया है कि वह बच्चों को स्कूटी या बाइक चलाने को न दें। बावजूद इसके न तो बच्चे स्कूटी बाइक चलाने से मान रहे हैं और न ही पुलिस उन्हें रोक पा रही है।
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बताते चलें कि यातायात पुलिस बांदा में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रही है। इसी अभियान के अंतर्गत नाबालिग बच्चों को भी स्कूटी, बाइक चलाने पर प्रतिबंधित किया है। इसके लिए अभिभावकों को भी जागरूक किया जा रहा है। वही ट्रैफिक पुलिस के आग्रह पर स्कूल कॉलेज संचालकों ने भी बच्चों से साफ मना किया है कि वह स्कूटी बाइक चलाकर स्कूल न आए। इसके लिए अभिभावकों से भी उन्होंने आग्रह किया है। परंतु बच्चों के आगे अभिभावक भी मजबूर नजर आ रहे हैं, जिससे बच्चे स्कूटी और बाइक से स्कूल पहुंच रहे हैं। लेकिन स्कूल संचालक उन बच्चों के वाहनों को अपने कैंपस में प्रवेश नहीं करने देते हैं। जिससे बच्चे अपने-अपने वाहन स्कूल के गेट के आसपास खड़ा कर देते हैं। इसकी वजह से कही कही अन्य वाहनों के आने-जाने में दिक्कतें होती हैं।
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इस मामले में सीओ ट्रैफिक जियाउद्दीन अहमद ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया है कि इस तरह के मामले सामने आने पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा गया कहा की जल्दी ही स्कूल प्रबंधन के साथ बैठक करके इस मसले का हल निकाला जाएगा।
वही बुंदेलखंड स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष एनके चौधरी का कहना है छात्र-छात्राओं का स्कूटर, बाइक आदि चलकर स्कूल आना सख्त मना है। क्योंकि इनके पास डीएल नहीं होता है। लेकिन सुनने में आ रहा है कि बच्चे स्कूल तक गाड़ियां लेकर आते हैं और स्कूल के अगल-बगल गाड़ियां खड़ी कर देते हैं। इस संबंध में हम लोग पुलिस से भी कई बार आग्रह कर चुके हैं। आरटीओ को भी जानकारी दी गई है लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। श्री चौधरी ने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि पुलिस को चेकिंग अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से भी अपील की है कि बच्चों को गाड़ियां चलाने को न दें बल्कि वह साइकिल से आए या फिर पैदल चलकर स्कूल आएं।
इसी तरह संगठन के सचिव मनीष गुप्ता ने बताया स्कूल आने जाने वाले छात्र अगर वहां गाड़ियां लेकर आते हैं तो एक दूसरे के कंपटीशन में तेज गाड़ियां चलाते हैं। जिससे अक्सर एक्सीडेंट होता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए आर.टी.ओ. को अभियान चलाकर जुर्माना लगाना चाहिए। ऐसा करने से अभिभावकों को सबक मिलेगा और राजस्व भी आएगा।
इस रिपोर्ट से पता चलता है कि पुलिस और स्कूल संचालक अपनी अपनी जिम्मेदारी का अगर निर्वहन कर रहे हैं। तो इसके बाद भी नाबालिग बच्चे सड़कों पर बेखौफ होकर स्कूटी व बाइक क्यों दौड़ा रहे हैं। इसके लिए जिम्मेदार कौन है। यह एक बड़ा सवाल है।
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इसका स्पष्ट जवाब है मोटर वाहन अधिनियम की धारा 180। इसके तहत उस व्यक्ति को 3 महीने तक की सजा हो सकती है जो बिना लाइसेंस वाले व्यक्ति को अपना वाहन चलाने के लिए देता है। इस कानून के तहत नाबालिग को भी अपनी गाड़ी चलाने की इजाजत देना गलत है, ऐसा करने पर 1 वर्ष की सजा और 5000 रुपए जुर्माना हो सकता है।